Positive India:Dayanand Pandey:
लेकिन लोहिया कम्युनिस्ट नहीं थे। धर्म में उन की पूरी आस्था थी। बकौल लोहिया राम,कृष्ण और शिव भारत में पूर्णता के तीन महान स्वप्न हैं। वेदों में भी लोहिया को यक़ीन था। फिर महामृत्युंजय मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद से लेकर यजुर्वेद तक में मिलता है। वहीं शिवपुराण सहित अन्य ग्रंथों में भी इसका महत्व बताया गया है। संस्कृत में महामृत्युंजय उस व्यक्ति को कहते हैं जो मृत्यु को जीतने वाला हो। इसलिए भगवान शिव की स्तुति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप किया जाता है।
रही बात मुलायम सिंह यादव की इन सब चीज़ों पर आस्था की तो मैं निजी तौर पर जानता हूं कि मुलायम सिंह की इन सब चीज़ों पर गहरी आस्था रही है। हनुमान भक्त तो वह हैं ही , तंत्र-मंत्र में भी बहुत डूबे रहे हैं। कामाख्या में उन की पूजा निरंतर चलती रहती थी। विंध्याचल में भी। बनारस में भी। छोड़िए आप के नेता शिवपाल सिंह यादव तो अखिलेश को मुख्यमंत्री पद से च्युत कर ख़ुद मुख्यमंत्री बनने के लिए हरिद्वार में लंबे समय तक पूजा-पाठ और तंत्र-मंत्र करवाते रहे थे। सफलता नहीं मिली , यह अलग बात है।
अखिलेश यादव भी इन सारी बातों से दूर नहीं हैं। अखिलेश यादव के पूजा-पाठ और तंत्र-मंत्र के क़िस्से पर क़िस्से हैं। अपने को श्री कृष्ण का वंशज बताते न मुलायम थकते हैं , न शिवपाल , न अखिलेश। राजनीतिक विवशताएं और मुस्लिम , यादव वोट बैंक की अपनी मज़बूरियां हैं , पूजा-पाठ , तंत्र-मंत्र की अपनी ज़रुरतें। यह सारी बातें पब्लिक डोमेन में न सही , बहुत गोपनीय नहीं रहीं अब।
[ एक मित्र की पोस्ट पर मेरा प्रतिवाद ]साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार है)