मोसाद ने पेजर में बम ब्लास्ट कर हिजबुल्ला के कमाण्डरों को उड़ा दिया
-अनिल द्विवेदी की कलम से-
Positive India:Anil Dwivedi:
आप देखिए कितने बड़े पैमाने पर पेजर(Pager) ब्लास्ट हुआ है! अब पता चला है कि सभी पेजर में 300 ग्राम का शक्तिशाली बम प्लांट कर दिया गया था।
एक कम्पनी जिसका मुख्यालय जॉर्डन में था, उसके प्रतिनिधि लेबनान जाकर अधिकारियों के साथ मीटिंग करते हैं कि उन्होंने ताइवान से एक नई किस्म के पेजर खरीदे हैं जिसकी बैटरी 4 महीने तक चलेगी।
हिजबुल्लाह(Hezbollah)के लोग खुश हो जाते हैं क्योंकि उन्हें ऐसा ही पेजर चाहिए था जिसकी बैटरी लंबी चले और उन्होंने 5000 पेजर के ऑर्डर दे दिए।
मोसाद(Mossad)को खबर लग गई और उसने इन तीन में से कोई एक रणनीति चुनी। जैसे बैटरी बनाने वाली कंपनी को पटाकर उसमें सर्किट फिट कर दिया। या जब माल की डेलिवरी हो रही होगी तभी उसे कैप्चर करके पेजर में सर्किट डाल दिया गया या सीधे पेजर कंपनी को ही खरीदकर काम निकाल लिया।
आश्चर्य कि इन सभी पेजर में 300 ग्राम का शक्तिशाली बम प्लांट किया गया था और एक ऐसा सर्किट डाला गया था जिसे दूर से मैसेज कमांड देकर सीरियल ब्लास्ट किया जा सकता था! 5000 लोग घायल हैं।
हिजबुल्ला के कमाण्डरों ने आंखें खो दी हैं, किसी ने हाथ तो किसी ने पैर। कुछ तो जन्नत पहुंचा दिए गए।
सब के सब हिजबुल्ला के आतंकियों को ही निशाना बनाया गया क्योंकि हिजबुल्लाह के आतंकी ही पेजर का इस्तेमाल आज भी इसलिए कर रहे थे क्योंकि पेजर में जीपीएस नहीं होता और इंटरनेट कनेक्शन नहीं होता इसीलिए वह पेजर को कम्युनिकेशन के लिए सबसे सेफ समझ रहे थे!
इस ब्लास्ट में लेबनान में ईरान का राजदूत भी बुरी तरह से घायल हुआ है क्योंकि वह भी हिजबुल्ला के आतंकियों से कम्युनिकेशन के लिए पेजर का इस्तेमाल करता था!
और हां, मोसाद ने ऐसा पहली बार नही किया है। 1974 में पेरिस में उसने एक टेलीफोन में सर्किट डालकर हिजबुल्लाह कमाण्डर की हत्या की थी।
सबक : सेर को सवा सेर जरूर मिलता है। बंदूक का जवाब सिर्फ बंदूक है। आंख के बदले आंख का कानून इसी को कहते हैं।
बोलो जय मोसाद! वेलडन इजराइल!
साभार: अनिल द्विवेदी-(ये लेखक के अपने विचार हैं)