Positive India: Dayanand Pandey:
यह जो नरेंद्र मोदी नाम की दीवार है न , चीन की दीवार से भी विकट है। लेकिन कुछ लोग इस दीवार से सिर टकराने के लिए अभिशप्त हो चुके हैं। देखते चलिए। आनंद मिलेगा। परम आनंद। निर्मल आनंद। देवेंद्र कुमार की एक लंबी कविता बहस ज़रुरी है का यह एक अंश याद आता है :
समन्वय, समझौता, कुल मिला कर
अक्षमता का दुष्परिणाम है
जौहर का किस्सा सुना होगा
काश! महारानी पद्मिनी, चिता में जलने के बजाए
सोलह हजार रानियों के साथ लैस हो कर
चित्तौड़ के किले की रक्षा करते हुए
मरी नहीं, मारी गई होती
तब शायद तुम्हारा और तुम्हारे देश का भविष्य
कुछ और होता!
यही आज का तकाजा है
वरना कौन प्रजा, कौन राजा है?
साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)