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नए भारत के परिपेक्ष में नागरिकता संशोधन बिल की सार्थकता

Modi Cabinet Approves Citizenship Amendment Bill

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Positive India:5 Dec: मोदी कैबिनेट ने नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। नागरिकता संशोधन विधेयक का मेन मकसद पाकिस्तान ,बांग्लादेश, अफ़गानिस्तान इत्यादि मुस्लिम देशों से मुसलमानों का शरणार्थी के रूप में भारत में आने पर रोक लगाना है।

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इस विधेयक के पास होने पर पड़ोसी देशों खासकर बांग्लादेश, अफगानिस्तान, पाकिस्तान के अल्पसंख्यक यानी हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई एवं पारसी, ये सब लोग कुछ शर्तों के साथ भारत में नागरिकता पाने के अधिकारी होंगे परंतु इन देशों के बहुसंख्यक यानी मुस्लिम भारत में नागरिकता पाने के अधिकारी नहीं होंगे।

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भारत की विपक्षी पार्टियां खासकर कांग्रेस इसका विरोध कर रही है। विरोध सिर्फ इसलिए कर रही है कि मुसलमानों को भारत में नागरिकता मिलने का हक क्यों नहीं मिलना चाहिए? कितनी बड़ी हास्यप्रद बात है। मुस्लिम बहुल देशों के मुस्लिमों को आखिरकार भारत में नागरिकता क्यों चाहिए? वह यहां पर शरणार्थी बनकर क्यों आना चाहते हैं?

भारत पूर्वोत्तर के राज्यों में बांग्लादेश से आए मुस्लिम घुसपैठियों का दंश अभी भी झेल रहा है। करोड़ों की संख्या में बांग्लादेशी मुस्लिमों ने पूर्वोत्तर राज्यों में अपनी जड़े जमा ली हैं। पूरा का पूरा डेमोग्राफिक स्ट्रक्चर चेंज हो गया है। उसकी तरफ विपक्षी दलों का ध्यान क्यों नहीं जाता है। यहां पर भी वोट बैंक की राजनीति है। राजनेता सिर्फ और सिर्फ अपनी वोट बैंक की से सोचता है ना कि देश की।

इस बिल पर नरेंद्र मोदी सरकार का तर्क एकदम न्याय संगत है कि मुस्लिम देशों में रह रहे अल्पसंख्यक यानी हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई, पारसी प्रताड़ित होते हैं ना कि वहां की बहुत संख्यक मुस्लिम आबादी। भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया है की भारत इन प्रताड़ित अल्पसंख्यको को ही वेलकम करेगा तथा कुछ शर्तों के साथ उन्हें भारत की नागरिकता प्रदान करेगा।

आज का नया भारत उतना ही उदार होगा जिससे उसकी उदारता देश के लिए आत्मघाती ना सिद्ध हो।

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