कोरोना महामारी में मेडिकल कंपनियां तथा मेडिकल स्टोर कर रहे कालाबाजारी
कोरोना महामारी में मेडिकल कंपनियों की चांदी
Positive India:Raipur:15 March:
एक तरफ जहां भारत सरकार ने कोरोनावायरस को राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दिया है वहीं दूसरी तरफ
मेडिकिट बनाने वाली कंपनियो और मेडिकल वालो के लिए तो “कोरोना” महोत्सव बनकर आया है। ऐसी महामारी में भारत सरकार तथा राज्य सरकारों ने सभी स्कूल, कॉलेज, जिम, लाइब्रेरी, योगा सेंटर, आंगनबाड़ी तथा हर तरह के सिंपोजियम, मीटिंग्स तथा सेमिनार को कैंसिल कर दिया है और सरकारे फ्री में सेनेटाईजर और मास्क बांट रही है; तो दूसरी तरफ मेडिकल कंपनियां तथा मेडिकल स्टोर महंगे दामों पर मास्क व सैनिटाइजर को बेचकर चांदी काट रहे हैं।
मास्क तथा सैनिटाइजर की कालाबाजारी इस कदर है कि चंद रुपयों में यूज एंड थ्रो वाला मासक ₹15 में बिक रहा है तथा ₹60 में बिकने वाला एक N95 62126 मास्क ₹250+GST में बिल के सहित बेचा जा रहा है।
भारत में जब भी कोई आपदा आती है तो मेडिकल कंपनियां तथा मेडिकल स्टोर इसे एक महोत्सव के रूप में मनाते हैं तथा जमकर कालाबाजारी के जरिए मुनाफा कमाते हैं। कोरोना महामारी मे महंगे दामों पर मास्क तो मिल रहे हैं, पर सैनिटाइजर पूरी तरह से गायब हो चुके हैं। इतनी जबरदस्त है सैनिटाइजर की कालाबाजारी तथा जमाखोरी। ऐसा लगता है कि काला बाजारियो तथा जमाखोरों के खिलाफ राज्य सरकारें तथा केंद्र सरकार असहाय हो चुकी है।
सिर्फ कोरोना ही नहीं, हमारे देश में हर प्राकृतिक आपदा इन जैसों के लिए वरदान बनकर आती है। फिर चाहे उत्तराखंड की बाढ़ हो या देश के किसी भी कोने में आया भूकंप, 5 रुपए का बिस्किट का पैकिट 50 से लेकर 500 रुपए में बिकने लगता है और 50 पैसे की पेरासिटामोल टेबलेट 100 रुपए में ।
सरकार को अगर प्रभावी ढंग से करोना से निपटना है तो इन जमाखोरों तथा ब्लैक मार्केटिंग करने वालो के खिलाफ सख्त कदम उठाने होंगे, अन्यथा ये जमाखोर तथा मुनाफाखोर भारत को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
Senior Reporter Shekhar Soni Poddar