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मौज का व्याकरण आसान है पहले पृष्ठ पर मुस्कान है।

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Positive India:Rajesh Jain Rahi:

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मौज का व्याकरण आसान है,
पहले पृष्ठ पर मुस्कान है।

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हँसी-ठिठोली, मीठी बोली,
कुछ विशेषण हैं।
दोस्तों से मिलो,

हर समाधान है।
नुक्कड़ तक निकलो टहलने,
चाट चबेना सब सामान है।
एकवचन छोड़ो,
बहुवचन में उत्थान है।
मौज का व्याकरण आसान है,
पहले पृष्ठ पर मुस्कान है।

बचपन में टोका-टोकी,
यौवन में प्रेम का तापमान है।
काहे का टेंशन,
पचपन में इत्मिनान है।
धन-दौलत बेशक कम,
शहर में काफी पहचान है।
सौ पचास की उधारी मिल जाती,
यह भी बड़ा सम्मान है।
मौज का व्याकरण आसान है,
पहले पृष्ठ पर मुस्कान है।

चश्मे के नीचे से ताक-झाँक,
मन अभी भी चंचल, चलायमान है।
एक-दो कश सिगरेट के,
थोड़ा-बहुत धूम्रपान है।
उड़ो जी भर कर,
नीचे जमीन,
ऊपर खुला आसमान है।
मौज का व्याकरण आसान है,
पहले पृष्ठ पर मुस्कान है।

गुनगुनाओ गीत सहगल के,
दुष्यंत की ग़ज़ल में समाधान है।
ले लो पॉप म्यूजिक का मजा,
दिल प्रवाहमान है।
कवियों में दिनकर, निराला, पंत,
ऊँचा वितान है।
नए दौर का मजा लेना हो,
‘राही की मधुशाला’ में भी,
खूब नशा विद्यमान है।
मौज का व्याकरण आसान है,
पहले पृष्ठ पर मुस्कान है।

कोठी, बंगला, कार नहीं,
असली धन तो संतान है।
दिल में प्रेम हो तो,
मुट्ठी में पूरा जहान है।
अपना दर्द बाँटना,
अच्छी बात है।
काँटा किसी का निकालना,
उच्च प्रतिमान है।
संज्ञा, सर्वनाम, उपसर्ग, प्रत्यय, सब पढ़े
सबसे प्यारा अपना हिन्दुस्तान है।
मौज का व्याकरण आसान है,
पहले पृष्ठ पर मुस्कान है।

लेखक:कवि राजेश जैन राही, रायपुर।

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