मंत्रिमंडल ने बिहार के दरभंगा में नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की स्थापना को दी मंजूरी
Positive India:Delhi;16 September 2020.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बिहार के दरभंगा में एक नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की स्थापना को मंजूरी प्रदान की। इसकी स्थापना प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के तहत की जाएगी। मंत्रिमंडल ने उपरोक्त एम्स के लिए एक निदेशक पद सृजित करने को भी मंजूरी प्रदान की है जिसका मूल वेतन 2,25,000 रुपये (निर्धारित) होगा और साथ में एनपीए भी देय होगा (हालांकि वेतन और एनपीए की कुल राशि 2,37,500 रुपये से अधिक नहीं होगी)।
इस एम्स के निर्माण में कुल लागत 1264 करोड़ रुपये आएगी और भारत सरकार से मंजूरी मिलने की तारीख से 48 महीने की समयावधि के भीतर इसके पूरा हो जाने की संभावना है।
आम लोगों को होने वाले लाभ/विशेषताएं
• नए एम्स में 100 यूजी (एमबीबीएस) सीट और 60 बीएससी (नर्सिंग) सीट होंगी।
• नए एम्स में 15-20 सुपर स्पेशलिटी डिपार्टमेंट होंगे।
• नए एम्स में 750 हॉस्पिटल बेड होंगे।
• वर्तमान में संचालित एम्स के आंकड़ों के अनुसार, यह उम्मीद है कि प्रत्येक नया एम्स रोजाना लगभग 2000 ओपीडी रोगियों और प्रति माह लगभग 1000 आईपीडी रोगियों का इलाज करेगा।
• निर्धारित समय पर पीजी और डीएम/एम.सीएच सुपर-स्पेशलिटी पाठ्यक्रम भी शुरू किए जाएंगे।
परियोजना का विवरण:
नई दिल्ली के एम्स और पीएमएसएसवाई के पहले चरण के तहत बनाए गए छह अन्य नए एम्स की तर्ज पर नए एम्स में मोटे तौर पर अस्पताल, मेडिकल और नर्सिंग पाठ्यक्रमों के लिए टीचिंग ब्लॉक, आवासीय परिसर और संबद्ध सुविधाओं/सेवाओं का निर्माण किया जाएगा। नए एम्स को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में स्थापित करने का उद्देश्य है। यह क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण तृतीयक स्वास्थ्य सेवा, चिकित्सा शिक्षा, नर्सिंग शिक्षा और अनुसंधान प्रदान करेगा।
प्रस्तावित संस्थान 750 बेड की क्षमता वाला एक अस्पताल होगा जिसमें इमरजेंसी/ट्रॉमा बेड, आईसीयू बेड, आयुष बेड, प्राइवेट बेड और स्पेशलिटी एवं सुपर स्पेशलिटी बेड शामिल होंगे। इसके अलावा, इसमें एक मेडिकल कॉलेज, आयुष ब्लॉक, ऑडिटोरियम, नाइट शेल्टर, गेस्ट हाउस, हॉस्टल और आवासीय सुविधाएं होंगी। नए एम्स की स्थापना से पूंजीगत परिसंपत्तियों का निर्माण होगा जिसके लिए छह विशेष एम्स की तर्ज पर उनके संचालन और रख-रखाव के लिए जरूरी विशेष कर्मचारियों को तैयार किया जाएगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के पीएमएसएसवाई की योजना बजट प्रमुख से इन संस्थानों पर आवर्ती लागत ग्रांट-इन-एड के माध्यम से पूरी की जाएगी।