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मणिपुर और सियासी, मीडियाई सेक्युलर पिशाच, पिशाचिनियां

-सतीश चन्द्र मिश्रा की कलम से-

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Positive India:Satish Chandra Mishra:
जब गोधरा में 59 लोग जिंदा जला कर राख कर दिए गए थे, तब सेक्युलर हरामजदगी के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए, देश को यह समझाने बताने का राक्षसी खेल शुरू हुआ था कि वो 59 लोग स्टोव फटने से लगी आग में जलकर मर गए हैं। यही “मृत्युगीत” गाते हुए, गुजरात से लेकर दिल्ली तक सियासी, मीडियाई सेक्युलर पिशाच, पिशाचिनियां नग्न होकर नाचने लगे थे।
इसका परिणाम वही निकला था,जो निकलना चाहिए था। गुजरात और गुजरातियों को भलीभांति यह समझ में आ गया था कि देश में दशकों से “गंगा जमुनी” तहजीब का ताबीज़ बेच रहे ठगों दंगाइयों हत्यारों के साथ “गंगा जमुनी” के जानलेवा फर्जीवाड़े के धोखे में रहने के बजाए “भय बिनु होय ना प्रीत” के सिद्धांतानुसार ही जीना चाहिए।
फिर जो हुआ वो इतिहास है। इस इतिहास के खिलाफ भी गुजरात से लेकर दिल्ली तक, और पूरे देश में सियासी, मीडियाई सेक्युलर पिशाच, पिशाचिनियां नग्न होकर वर्षो तक नाचे थे।
आज ये सार संक्षेप इसलिए ताकि बात आसानी से समझ आ जाए कि, हो मणिपुर में भी यही रहा है। बस इतना फर्क है कि गोधरा के बाद ऊपर वाले के कोठे की ७२ वेश्याओं के दलालों और ग्राहकों को “भय बिनु होय ना प्रीत” का पाठ ठीक से पढ़ाया समझाया गया था। मणिपुर में यह पाठ होलोलुलु हुइया गैंग को पढ़ाया समझाया जा रहा है। इस तरह से समझाया जा रहा है कि स्थिति पर नियंत्रण करने के लिए सेना को भी इसलिए नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं, क्योंकि, होलोलुलु हुइया गैंग को भय बिनु होय ना प्रीत” का पाठ बहुत अच्छे से पढ़ा रहे नौजावनों के पक्ष और समर्थन में मणिपुर के गांव-गांव में घरों से निकल कर हजारों की संख्या में महिलाएं सड़कों पर उतर गई हैं और सेना का रास्ता रोक कर खड़ी हो गई हैं। स्वयं सेना ने वीडियो जारी कर के इस स्थिति से अवगत कराया है।
दरअसल यह अचानक नहीं हो रहा। होलोलुलु हुइया गैंग के अत्याचार, दुराचार, अनाचार को कई वर्षों से लोग सहन कर रहे थे। दो तीन महीने पहले होलोलुलु हुइया गैंग के उस अत्याचार अनाचार ने हैवानियत की सारी सीमाएं लांघ दी, सड़कों पर हत्याएं और बलात्कार किए जाने लगे, घरों को आग के हवाले किया जाने लगा। लेकिन वर्षों से जारी होलोलुलु हुइया गैंग के राक्षसी अत्याचार और तीन महीने पहले सारी हदें पार कर देने को, वही गोधरा/गुजरात नस्ल वाले सियासी, मीडियाई सेक्युलर पिशाच, पिशाचिनियां उस अत्याचार को मोदी के खिलाफ मणिपुर की Dissent voice (असहमति की आवाज) नाम का कंडोम पहनाते रहे।
लेकिन उस अत्याचार की आंधी ने मणिपुर के नौजवानों को रामचरित मानस की उन पंक्तियों की याद दिला ही दी कि, “…का चुप साधि रहेहु बलवाना॥”
इसी के साथ मणिपुर में शुरू हुआ होलोलुलु हुइया गैंग को “भय बिनु होय ना प्रीत” का पाठ पढ़ाने का दौर। जिस से तिलमिला कर उसके विरोध में दिल्ली में सियासी, मीडियाई सेक्युलर पिशाच, पिशाचिनियां नग्न होकर पुनः नाचने लगे हैं। उनका यह नग्न नृत्य बता रहा है कि पाठ पढ़ाने सिखाने में कोई कमी नहीं हो रही।

साभार:सतीश चन्द्र मिश्रा-(ये लेखक के अपने विचार है)

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