Positive India:Rajesh Jain Rahi:
रामजी की गलियों से, जिनको नहीं था मोह,
सीढ़ियों पे हनुमान, जी की चढ़ने लगे।
अन्ना नहीं दिखते हैं, किसी काम के तो अब,
छुपके किताब जिन्ना, वाली पढ़ने लगे।
मांगते थे जो प्रमाण, सैनिकों की वीरता का,
मुफ्तवादी कीर्तिमान, देखो गढ़ने लगे।
सुनते थे कभी दिल्ली, दिलवालों को मिलेगी,
अवसरवादी सारे, यहीं बढ़ने लगे।
लेखक:कवि राजेश जैन राही, रायपुर