मुस्लिम-मुस्लिम का आइस-पाइस खेलना और माहौल बिगाड़ने वालों का राम नाम सत्य हो गया।
-दयानंद पांडेय की कलम से-
Positive India:Dayanand Pandey:
गुंडों के चक्कर में पिटते तो लोग रोज हैं। पर गाज़ियाबाद में तावीज बनाने वाला चूंकि एक मुस्लिम था। सो मुस्लिम प्रिविलेज कहिए , मुस्लिम तुष्टिकरण कहिए के नाम पर सांप्रदायिक सदभाव की ढोल पीट कर सांप्रदायिकता फ़ैलाने वाले लोगों ने इसे तिल का ताड़ बना दिया। सांप्रदायिकता की आग जलाने के फेर में पड़ गए। साधन बनाया ट्वीटर को। साध्य तो ग़लत था ही , साधन भी ग़लत चुन लिया। ट्वीटर की मनबढ़ई के आकाश में बस यहीं छेद हो गया। पूरमपूर बांस हो गया। पहली बार एफ आई आर हो गया , ट्वीटर के ख़िलाफ़। मुस्लिम-मुस्लिम का आइस-पाइस खेलना और माहौल बिगाड़ने वालों का राम नाम सत्य हो गया। कुछ जेल गए , कुछ जाने वाले हैं। मनबढ़ई के इस आकाश में अभी निरंतर छेद करते रहने की ज़रूरत है। सांप्रदायिकता के नाम पर मुस्लिम-मुस्लिम की आइस-पाइस खेलने वालों के आकाश में भी और ट्वीटर समेत बाक़ी सोशल मीडिया के आकाश में भी।
अति हो गई है सेक्यूलरिज्म के नाम पर मुस्लिम अतियों की। फिर यह उत्तर प्रदेश है , पश्चिम बंगाल नहीं , कश्मीर नहीं। कश्मीर की दवाई हो गई है। पश्चिम बंगाल की भी दवाई बहुत ज़रूरी हो गई है। कांग्रेस , वाम , सपा , बसपा , तृणमूल और आप टाइप पार्टियों की मुस्लिम-मुस्लिम की आइस-पाइस खेलने में जैसे जान बसती है। इस आइस-पाइस के खेल की गिमिक और इस लाक्षागृह को तोड़ने के यही दिन हैं। इस से जुड़े ट्वीटर और सोशल मीडिया के व्यवस्थित तारों को कुचल कर तोड़ दिया जाना भी बहुत ज़रूरी है। दिलचस्प यह कि पीटने वाले गुंडे भी मुस्लिम हैं। तिस पर बुढ़ऊ बता रहे थे कि उन को जय श्री राम कहलवाया गया , मार-मार कर। ग़ज़ब चक्रव्यूह रचा गया। पर कुछ घंटे में सारा चक्रव्यूह टूट गया।
साभार:दयानंद पांडेय-ये लेखक के अपने विचार हैं)