Positive India:Rajesh Jain Rahi
टूटी हुई साईकिल, मेरी जो पुरानी पड़ी,
आज वो अचानक ही, मुझे जँचने लगी।
तेज रफ्तार वाली, बाइक नहीं लुभाती,
पर्ची चालान वाली, मुझे डसने लगी।
लाल बत्ती लगती है, मुझे अब भूतनी सी,
महिला सिपाही यम दूत लगने लगी।
हेलमेट लाइसेंस, लाइसेंस हेलमेट,
भूल के कविता यही, जीभ रटने लगी।
लेखक:कवि राजेश जैन राही रायपुर
(ये लेखक के अपने विचार हैं)