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राही की फुलझड़ी-महामिलावटी महागठबंधन पर कटाक्ष

ममता दीदी बंगाल में कैसे सिकुड़ गई?

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Positive India:Rajesh Jain Rahi:

चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद आज पुनः चुस्की लाल के दर्शन हो गए। मैंने हाथ मिलाकर देश में बनने जा रही स्थिर सरकार की बधाई दी और पूछा-

(1) चुस्कीलाल जी, यूपी में महागठबंधन के फेल होने के क्या कारण रहे?

चुस्कीलाल- महागठबंधन परिवार को ही बांध नहीं सका फिर पूरे यूपी को क्या खाक बांधता। यूपी के लोगों ने इलाहाबाद (प्रयागराज) में पावन संगम देखा है। मिलावट और संगम के अंतर को यूपी के लोग बखूबी समझते हैं।

(2) ममता दीदी बंगाल में कैसे सिकुड़ गई?

चुस्की लाल- अत्यधिक गुस्से के कारण। जनप्रतिनिधि को गुस्सा नहीं शोभता। जो औरों के लिए जैसी चाहत रखता है उसके साथ वैसा ही होता है। ममता जी का काल्पनिक थप्पड़ उन्हीं को आकर लगा है।

(3) केजरीवाल को दिल्ली में एक भी सीट नहीं मिली, आखिर ऐसा क्या हो गया?

चुस्की लाल- जिसके खिलाफ भ्रष्टाचार की लड़ाई लड़ी उसी से हाथ मिलाने को तैयार हो गए। “न खुदा ही मिला न विसाले सनम”। केजरीवाल इस दौर के सबसे नासमझ नेता हैं और जनता सब समझती है।

(4) मशहूर गीतकार जावेद अख्तर की अपील न भोपाल में काम आई न बेगूसराय में, कहां चूक हो गई उनसे ?

चुस्कीलाल- बेगूसराय की माटी राष्ट्रकवि दिनकर की माटी है। जेएनयू में देश विरोधी नारों के बीच पाए जाने वाले शख्स की हार तय थी। भोपाल की जनता ने साध्वी प्रज्ञा के साथ हुए घोर अत्याचार के खिलाफ अपना वोट दिया है। जिंदगी फिल्मी गीत नहीं है।

(5) बहन प्रियंका उत्तर प्रदेश में कोई कमाल नहीं कर पाई?अमेठी में भी हार गया भाई,
ऐसा क्यों ?

चुस्कीलाल- प्रियंका जी को आते आते बहुत देर हो गई और जनता पालतू सांप से खेलने वाले को नहीं, असल मगरमच्छ से टकरा जाने वाले को पसंद करती है। पति रॉबर्ट वाड्रा काफी फले फूले हैं प्रियंका का साथ पाने के बाद, देश के प्रति प्रियंका का योगदान शून्य है।

(6) शत्रुघ्न सिन्हा अपने ही घर में कैसे मात खा गए?

चुस्कीलाल -रील लाइफ और रियल लाइफ में अंतर होता है,
ठीक चुनाव के वक्त पार्टी छोड़ना उनके अवसरवादी होने को प्रमाणित करता है। देश को बोलने वाले की नहीं,काम करने वाले की जरूरत है।

(7) मोदी जी की शानदार विजय पर कुछ बोलिये चुस्की भाई ।
चुस्कीलाल- दुष्यंत जी ने कहा है-
“कैसे आकाश में सुराख नहीं हो सकता,
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो।”

लेखक:राजेश जैन राही, रायपुर।

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