पॉजिटिव इंडिया:लखनऊ;
उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने मदरसों में दाखिले के लिए विद्यार्थी की अधिकतम आयु सीमा तय करने पर विचार किए जाने की अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि सरकार मदरसों में दाखिले की उम्र तय करने के सिलसिले में एक समिति का गठन करेगी।
अंसारी ने कहा कि मदरसों की विभिन्न कक्षाओं में दाखिले के लिए विद्यार्थी की आयु निर्धारित करने को लेकर एक समिति बनाई जाएगी जिसकी रिपोर्ट के आधार पर आयु निर्धारण संबंधी निर्णय लिया जाएगा और मदरसों में दाखिले के लिए अधिकतम उम्र तय करने का कोई विचार नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार सीबीएसई और आईसीएसई समेत विभिन्न शिक्षा परिषदों की तर्ज पर उत्तर प्रदेश के मदरसों में भी दाखिले के लिए न्यूनतम आयु सीमा तय करेगी।अंसारी ने कहा कि कई बार ऐसा होता है कि बच्चों के माता—पिता या अभिभावक लापरवाही के चलते बच्चे का दाखिला देर से कराते हैं और सरकार की कोशिश होगी कि यह प्रथा रोकी जाए। दरअसल, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने पिछले रविवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा था कि हाल ही में मदरसों के हाईस्कूल के मेधावी छात्र-छात्राओं को प्रशस्ति पत्र और टेबलेट वितरण के दौरान कई बड़ी उम्र के पुरुष भी पुरस्कार लेने पहुंचे थे जो सही नहीं है। उन्होंने कहा था कि सरकार बेसिक शिक्षा की तर्ज पर अब मदरसों में भी प्रवेश के लिए आयु सीमा निर्धारित करेगी।
उनके इस बयान के बाद तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या सरकार मदरसों में दाखिले के लिए अधिकतम आयु सीमा तय करेगी।
मंत्री धर्मपाल सिंह की चिंता के मद्देनजर यह सवाल पूछे जाने पर कि मदरसों में ज्यादा उम्र के विद्यार्थियों के दाखिले पर रोक लगाने के लिए सरकार को प्रवेश के लिए अधिकतम आयु सीमा निर्धारित करनी होगी, अंसारी ने कहा, “सरकार का ऐसा कोई भी विचार नहीं है।” राज्य मंत्री अंसारी ने कहा कि अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह के हाल के बयान को गलत तरीके से न लिया जाए। सिंह का कहने का मतलब सिर्फ इतना था कि मदरसों में पढ़ रहे बच्चों की शिक्षा सही समय पर शुरू हो और सही वक्त पर ही मुकम्मल हो।
इस बीच, प्रदेश के मदरसा शिक्षकों के संगठन ‘टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया उत्तर प्रदेश’ के महासचिव दीवान साहब जमां खां ने बताया कि राज्य में मदरसों में पहली कक्षा और दसवीं कक्षा में दाखिले के लिए न्यूनतम आयु पहले से ही निर्धारित है। उन्होंने कहा कि पहली कक्षा में प्रवेश के लिए विद्यार्थी की न्यूनतम आयु पांच साल और दसवीं कक्षा में दाखिले के लिए न्यूनतम 14 साल पहले से ही तय है। उन्होंने कहा कि अधिकतम आयु तय करने का प्रावधान मदरसा शिक्षा बोर्ड के साथ-साथ किसी भी शिक्षा परिषद में नहीं है।गौरतलब है कि प्रदेश में 16461 मदरसे हैं जिनमें से 560 को सरकारी अनुदान प्राप्त होता है। राज्य सरकार मदरसों में दीनी तालीम के साथ आधुनिक शिक्षा पर भी खासा जोर दे रही है। इसके लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं।उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु छह वर्ष निर्धारित है। दसवीं कक्षा में दाखिले के लिए न्यूनतम आयु 14 वर्ष निर्धारित ह। साभार पीटीआई।
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