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मदनी साहब पूछ रहे हैं जब कोई नहीं था तब मनु किसकी पूजा करते थे ?

-राजकमल गोस्वामी की कलम से-

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Positive India:Rajkamal Goswami:
पूजा वह नहीं होती जो मदनी साहब समझते हैं
मदनी साहब पूछ रहे हैं जब कोई नहीं था तब मनु किसकी पूजा करते थे ?
मदनी साहब भला पूजा कौन सी ज़रूरी चीज़ है जिसके बिना काम नहीं चल सकता ? हज़रत आदम किसकी पूजा करते थे ? न बाइबिल में कहीं आदम द्वारा ईश्वर की पूजा किए जाने का ज़िक्र है न क़ुरान में । दोनों में कहानियाँ थोड़ी अलग अलग हैं किन्तु केवल ईश्वर और आदम में बातचीत का ज़िक्र आया है ।

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बाइबिल में जेनेसिस में बस इतना ज़िक्र है कि आदम और हव्वा को ईश्वर स्वर्ग के उद्यान में छोड़ कर चला जाता है और एक विशेष फल खाने को मना करता है , शैतान के बहकावे में आदम वह फल खा लेता है जिससे दोनों में अपनी नग्नावस्था को लेकर लज्जा का भाव उत्पन्न हो जाता है । ईश्वर नाराज़ होकर दोनों को स्वर्ग से पृथ्वी के लिए निकाल देता है । न वो पूजा के लिए कहता है न आदम पूजा करता है ।

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क़ुरान की कथा तो विचित्र है । ईश्वर आदम को बनाता है और सारे फ़रिश्तों से कहता है कि आदम को सजदा करो सारे फ़रिश्ते आदम को सजदा करते हैं मगर शैतान मना कर देता है और कहता है कि तूने आदम को मिट्टी से बनाया है और मुझे आग से इसलिए मैं इससे श्रेष्ठ हूँ मैं भला इसे सजदा क्यों करूँ । ईश्वर नाराज़ होकर शैतान को निकाल देता है । इसके बाद आदम को जन्नत से बेदख़ल करने की लगभग वही बाइबिल वाली ही कहानी है ।

तो आदम द्वारा ईश्वर की पूजा करने का कहीं कोई ज़िक्र नहीं बल्कि उल्टे फ़रिश्तों का आदम को सजदा करने का ज़िक्र आया है । आश्चर्य की बात यह है कि जो ख़ुदा कभी फ़रिश्तों को आदम का सजदा करने का हुक्म देता है वही अब अपने सिवा किसी को भी सजदा करने को हराम घोषित कर देता है ।

तो मदनी साहब आदम किसी की पूजा नहीं करते थे अपितु फ़रिश्तों से अपनी पूजा करवाते थे ।

सनातन धर्म में केवल भक्तिमार्गी पूजा करते हैं । ज्ञानमार्गी योग साधना करते हैं और कर्मयोगी केवल निष्काम कर्म करते हैं । इतने भर से उनकी मुक्ति हो जाती है ।

पूजा तो भक्तिमार्ग का एक अंग मात्र है । केवल नाम जप भी भक्ति के लिए पर्याप्त है । नाम जपने में न वुज़ू की ज़रूरत है न मुसल्ले की , ज़बान हमेशा पाक होती है । बिना कर्मकांड के भी पूजा हो सकती है । एक सरदार जी से मेरा परिचय था जो हर साँस के साथ राम नाम जपते थे और दुकान भी चलाते रहते थे । गुरु नानक देव जी ने कहा है,

राम नाम बिरथे जगु जनमा

राम नाम नहीं जपा तो जग में जन्म व्यर्थ गया

साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार है)

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