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वामपंथी स्टूडेंट्स ने जेएनयू कैंपस में किया हमला

Masked students attacked JNU campus.

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Positive India:New Delhi: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में नकाबपोश विद्यार्थियों ने जेएनयू कैंपस तथा इसके हॉस्टल पर रॉड,डंडे व पत्थर से हमला किया। ताजा खबर के मुताबिक, स्टूडेंट फेडरेशन आफ की तरफ से जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय यूनियन की अध्यक्ष आयषी घोष एक वीडियो में इन नकाबपोश दंगाइयों को लीड करती हुई दिखाई दे रही है। इस पत्थरबाजी तथा नकाबपोशो के हमले में 25 विद्यार्थी घायल हुए हैं। जुनसू प्रेसिडेंट आयशी घोष भी इस हमले में घायल हुई हैं जिन्हें एम्स के ट्रॉमा विभाग में भर्ती कराया गया है। यहां विरोधाभास है जब आयुषी घोष इन नकाबपोश दंगाइयों का नेतृत्व कर रही हैं उन्हें रास्ता बता रही हैं तो वह इस हमले में कैसे घायल हो गई? यह पुलिस द्वारा जांच का विषय है, क्योंकि एक सुनियोजित ढंग से, पूरी प्लानिंग के साथ जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में इस दंगे को अंजाम दिया गया।

नकाबपोशो ने यह हमला कल रात को किया। बेहद सुनियोजित तरीके से साबरमती हॉस्टल, माही मांडवी हॉस्टल तथा पेरियार हॉस्टल को निशाना बनाया गया। पूरे जेएनयू कैंपस में तोड़फोड़ की गई। जो सामने आया, उसको बेरहमी से पीटा गया। कैंपस में पड़े फर्नीचर, खिड़की, दरवाजों के शीशों को तोड़ दिया गया।

यह सारी करतूत लेफ्ट फ्रंट के वामपंथी स्टूडेंट्स यूनियन के विद्यार्थियों ने किया। वामपंथियों ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय को एक अखाड़े में तब्दील कर दिया है। यह सब करतूत करने के बाद वामपंथी स्टूडेंट्स यूनियन ने इसका दोषारोपण अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को दे रहा है। जबकि सच्चाई यह है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रेसिडेंट, वाइस प्रेसिडेंट, जनरल सेक्रेटरी, सेक्रेटरी की सभी पोस्टों पर वाममोर्चा ही काबिज है।

आज सुबह की ताजा वीडियो में यह दिख रहा है कि नकाबपोश युवकों को को जुनसू प्रेसिडेंट आयषी घोष लीड कर रही हैं,उन्हें रास्ता बता रही हैं कि कहां क्या है। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है, तहकीकात जारी है।

टुकड़े टुकड़े गैंग के वजह से जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी पहले से ही बदनाम है। यह वही विश्वविद्यालय है जहां पर देश विरोधी नारे लगते हैं। पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगते हैं, अफजल तेरे कातिल जिंदा हैं, हम सब शर्मिंदा हैं के नारे लगते हैं। जेएनयू वही विश्वविद्यालय है जहां पर अर्बन नक्सली पैदा होते हैं। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर वाममोर्चा यहां पर अर्बन नक्सलियों की विचारधारा को रोपित व संचित करता है।

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