सुप्रीम कोर्ट पिछली बार आतंकी मेमन के लिए आधी रात को खोला गया था और अब तीस्ता सीतलवाड़ के लिए!!
-विशाल झा की कलम से-
Positive India:Vishal Jha:
मुझे सिर्फ इतना पता था कि तीस्ता सीतलवाड़ की गुजरात हाईकोर्ट से जमानत याचिका अंतिम रूप से खारिज हो गई और उसे सरेंडर करने को कहा गया है। लेकिन कल शनिवार की शाम ढली और मामला ऊपरी अदालत में गया। सुप्रीम कोर्ट के 2 जजों की बेंच में रात को 10:00 बजे अदालत लगाकर मामले पर सुनवाई आरंभ हुई।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की तरफ से जब गुजरात हाईकोर्ट में याचिका खारिज करने के मामले पर तीन सौ पन्ने की जस्टिफिकेशन पीठ को सौंपी गई और उसे पढ़ने को कहा गया, दोनों न्यायधीश आपस में कुछ बात करने लगे और मामले को ऊपरी पीठ में ट्रांसफर कर दिया। यह पीठ तीन जजों की थी।
तमाम मजबूत दलील के बावजूद आखिरकार तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत तो मिल गई। लेकिन जमानत देने के पूरे प्रकरण में सबसे ध्यान देने वाली बात है कि बहस में जब भी लगा कि जमानत के विरोध में दलील मजबूत पड़ रही है, जज साहब पूछ बैठते थे कि 7 दिनों के अंतरिम जमानत में आसमान तो नहीं गिर पड़ेगा? और आसमान नहीं गिरने के इस स्टेटमेंट को पूरे प्रकरण के दरमियान जजों ने एक-एक करके कम से कम 3 बार दोहराया।
सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता न्यायधीशों की इस टिप्पणी के उत्तर में बस एक ही बात कहते, मिलार्ड आसमान कभी नहीं गिरता है। और कह भी क्या सकते थे। सिस्टम के सामने वास्तव में कोई स्टेट कितना कमजोर पड़ सकता है, उसका यह बेस्ट उदाहरण है।
सुप्रीम कोर्ट पिछली बार आतंकी मेमन के लिए आधी रात को खुला गया था। लेकिन तीस्ता सीतलवाड़ अभी आतंकी सिद्ध नहीं हुई हैं। जाकिया जाफरी मामले पर तीस्ता की गिरफ्तारी भले एंटी टेरर स्क्वायड ने की थी। सिद्ध हो जाए इसकी संभावना प्रबल है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट अभी समर वेकेशन में चल रहा था, बावजूद ऐसे सुनवाई हो गया कानो कान पता नहीं चला।
विशाल झा