www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

क्यों बिछड़े सभी बारी-बारी ??

- दयानंद पांडेय की कलम से-

Ad 1

Positive India:Dayanand Pandey:
बिछड़े सभी बारी-बारी !
कभी कांग्रेस के इन चार चेहरों में से अब एक चेहरा ही कांग्रेस में शेष रह गया है। वह है सचिन पायलट का चेहरा। अलग बात है कि यह चारो चेहरे में भाजपा के स्टार प्रचारक राहुल गांधी के क़रीबी लोग हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया , जितिन प्रसाद और अब आर पी एन सिंह। तो क्या अगला नंबर सचिन पायलट का है ? जो भी हो , गुरुदत्त की मशहूर फ़िल्म काग़ज़ के फूल फ़िल्म में क़ैफ़ी आज़मी का लिखा सचिन देव वर्मन के संगीत में मोहम्मद रफ़ी का गाया यह मशहूर गीत याद आता है :

Gatiman Ad Inside News Ad

अरे देखी ज़माने की यारी
बिछड़े सभी, बिछड़े सभी बारी बारी
क्या ले के मिलें अब दुनिया से, आँसू के सिवा कुछ पास नहीं
या फूल ही फूल थे दामन में, या काँटों की भी आस नहीं
मतलब की दुनिया है सारी
बिछड़े सभी, बिछड़े सभी बारी बारी

Naryana Health Ad

वक़्त है महरबां, आरज़ू है जवां
फ़िक्र कल की करें, इतनी फ़ुर्सत कहाँ

दौर ये चलता रहे रंग उछलता रहे
रूप मचलता रहे, जाम बदलता रहे

रात भर महमाँ हैं बहारें यहाँ
रात गर ढल गयी फिर ये खुशियाँ कहाँ
पल भर की खुशियाँ हैं सारी
बढ़ने लगी बेक़रारी बढ़ने लगी बेक़रारी
अरे देखी ज़माने की यारी
बिछड़े सभी, बिछड़े सभी बारी बारी

उड़ जा उड़ जा प्यासे भँवरे, रस ना मिलेगा ख़ारों में
कागज़ के फूल जहाँ खिलते हैं, बैठ ना उन गुलज़ारो में
नादान तमन्ना रेती में, उम्मीद की कश्ती खेती है
इक हाथ से देती है दुनिया, सौ हाथों से लेती है
ये खेल है कब से जारी
बिछड़े सभी, बिछड़े सभी बारी बारी।

साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

Horizontal Banner 3
Leave A Reply

Your email address will not be published.