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अपने टोटी चोर के साथ मुस्कुराहट में गलगल कुमार विश्वास

- दयानंद पांडेय की कलम से-

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Positive India:Dayanand Pandey:
बताइए कि यही कुमार विश्वास कभी टोटी चोर बताते थे , मुलायम के टीपू को। तबीयत भर तंज कसते थे। अब यह इन्हीं टोटी चोर के साथ मुस्कुराहट में गलगल हैं। राज्यसभा जाने की अकुलाहट जो-जो न करवा दे। अरविंद केजरीवाल से भी कभी ऐसी ही गलबहियां थी कुमार विश्वास की। अन्ना आंदोलन में शिरक़त कर अरविंद केजरीवाल से दोस्ती गांठी थी। केजरीवाल सरकार बनी तो केजरीवाल की कोर टीम के मेंबर थे। अरविंद केजरीवाल के कान पकड़ कर बेलाग कोई कुछ कह सकता था तो वह कुमार विश्वास ही थे।

यक़ीन न हो तो यू ट्यूब पर उपस्थित कुछ निजी वीडियो देख लें। कवि सम्मेलनों की फीस भी इस बीच हज़ारों से उठ कर लाखों में पहुंच गई। पर राज्यसभा का सपना पाल लिया। प्रशांत भूषण , आशुतोष की ही तरह इन की राज्यसभा की ख़्वाहिश भी धूल में उड़ गई तो केजरीवाल से कुट्टी कर ली। नरेंद्र मोदी शरणम गच्छामि हुए। रामायण पर प्रवचन वग़ैरह भी शुरु किया। रामदेव को पुल बनाया। पर रामदेव ख़ुद ही के इंतज़ाम में गच्चा खा गए। एक चिट फंड कंपनी की पैरोकारी में मोदी के आगे बौने हो गए रामदेव। और भी कई पुल बनाए-जोड़े पर राज्यसभा के लिए कोई पुल काम नहीं आया।

तो टोटी चोर भैया को साधने आ गए लखनऊ। टोटी यादव सरकार भले न बना पाएं उत्तर प्रदेश में पर इतनी सीटें तो ले ही आएंगे 2022 में कि कविराज कुमार विश्वास को राज्यसभा भेज दें। तो यह मुस्कुराहट की मिसरी इसी पाग में बनी हुई है। तिस पर सोने पर सुहागा यह कि कविराज जब कल लखनऊ में टोटी यादव के चाचा रामगोपाल यादव पर एक किताब के विमोचन कार्यक्रम में कविताई में मुलायम के क़सीदे काढ़ रहे थे तो मुलायम इन से इतने प्रभावित हो गए कि इस अवसर पर मंच पर उपस्थित एक दूसरे कविराज उदय प्रताप सिंह यादव से कान में कह दिया कि अगर यह कहीं किसी और पार्टी में न हों तो अपने यहां ले लिया जाए।

कान में कही गई मुलायम की इस बात को अपने उदबोधन में उदय प्रताप सिंह यादव ने सार्वजनिक कर दिया। अब इस घोषणा के बाद राज्यसभा जाने के लड्डू मन में न फूटें , यह तो मुमकिन नहीं है। गौरतलब है कि उदय प्रताप सिंह यादव भी ठीक-ठाक मंचीय कवि हैं। ख़ासियत यह कि मुलायम सिंह यादव उदय प्रताप सिंह यादव के छात्र रहे हैं और साथ-साथ पढ़ाया भी है।

मुलायम एक समय पहलवान बनने के लिए बोर्ड का इम्तहान छोड़ना चाहते थे। शिलांग में कोई कुश्ती मुक़ाबला था। उसी बीच यू पी बोर्ड का इम्तहान था। मुलायम बोर्ड का इम्तहान छोड़ , कुश्ती मुक़ाबला के लिए शिलांग जाने की तैयारी कर बैठे। तब उदय प्रताप सिंह यादव ने ही मुलायम को इम्तहान नहीं छोड़ने की सलाह दी। मुलायम सिंह यादव मान गए। कभी वामपंथी सांसद रहे उदय प्रताप सिंह अपने छात्र मुलायम सिंह यादव को अब साहब ! कह कर संबोधित करते हैं।

मुलायम उदय प्रताप सिंह यादव को दो बार राज्यसभा भेज चुके हैं। लगता है अब कुमार विश्वास भी टोटी यादव को साहब ! कह कर संबोधित करेंगे। सो राज्यसभा अब पक्की ही समझिए। गुलज़ार , जावेद अख़्तर की तरह कुमार विश्वास भी मौलिक कवि नहीं हैं। पर गुलज़ार और जावेद अख़्तर ही की तरह कुमार विश्वास भी बाक़माल प्रस्तोता हैं। हां , बस फ़िल्मी नहीं हैं। पर कवि सम्मेलनों और मुशायरों के मंचों पर इन दोनों से न सिर्फ़ ज़्यादा लोकप्रिय हैं , पैसे भी इन से कहीं ज़्यादा बल्कि बहुत ज़्यादा लेते हैं। कुमार विश्वास कवि सम्मेलन ही नहीं , अन्य मंचों के भी नए ब्रांड हैं। इन की पत्नी राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा पाए हुई हैं। पत्नी को तो सेट कर ही चुके हैं , अब अपनी सेटिंग में सफल होते हैं कि अगेन असफल , देखना दिलचस्प होगा।

साभार: दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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