कुल्थी की दाल पथरी का अचूक इलाज
पॉजिटिव स्वास्थ में उत्तम स्वास्थ्य के लिए कुल्थी की जानकारी।
Positive India:Dr.K.C.Pant:
पहाड़ो में सर्द मौसम में गहत की दाल या कुल्थी की दाल लजीज मानी जाती है। प्रोटीन तत्व की अधिकता से यह दाल शरीर को ऊर्जा देती है, साथ ही पथरी के उपचार की औषधि भी है।
यूं तो गहत या कुल्थी आमतौर पर एक दाल मात्र है,जो पहाड़ की दालों में अपनी विशेष तासीर के कारण खास स्थान रखती है। वैज्ञानिक भाषा में डौली कॉस बाईफ्लोरस नाम वाली यह दाल गुर्दे के रोगियों के लिए अचूक दवा मानी जाती है। उत्तराखंड में 12,319 हेक्टेयर क्षेत्रफल में इसकी खेती की जाती है।
खरीफ की फसल में शुमार गर्म तासीर वाली यह दाल पर्वतीय अंचल में शीतकाल में ज्यादा सेवन की जाती है। पहाड़ में सर्द मौसम में गहत की दाल लजीज मानी जाती है। प्रोटीन तत्व की अधिकता से यह दाल शरीर को ऊर्जा देती है, साथ ही पथरी के उपचार की औषधि भी है। पर्वतीय क्षेत्र में गहत दाल की दो प्रजातियां क्रमश: काली व भूरी के रूप मे प्रचलित है, लेकिन इधर विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने पीएल-1 गहत नामक एक और प्रजाति विकसित की है।
इतना ही नहीं गर्म तासीर के कारण सर्द मौसम में कुल्थी की दाल गुणकारी मानी जाती है और सर्दियों में ज्यादातर इस्तेमाल होती है।
Writer:Dr.K.C.Pant(MD-Paed);Raipur.