कृष्णा-गोदावरी (केजी) बेसिन मीथेन ईंधन का एक उत्कृष्ट स्रोत है
बेसिन में जमा होने वाला मीथेन हाइड्रेट एक समृद्ध स्रोत है जो मीथेन, एक प्राकृतिक गैस, की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करेगा
Positive India: Delhi; Sep 13, 2020.
अब जबकि दुनिया में जीवाश्म ईंधन समाप्ति की ओर है और दुनिया स्वच्छ ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की तलाश में है, कृष्णा-गोदावरी (केजी) बेसिन से अच्छी खबर है। इस बेसिन में जमा होने वाला मीथेन हाइड्रेट एक समृद्ध स्रोत है जो मीथेन, एक प्राकृतिक गैस, की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करेगा।
मीथेन एक स्वच्छ एवं किफायती ईंधन है। अनुमान है कि एक घन मीटर मीथेन हाइड्रेट में 160-180 घन मीटर मीथेन होता है। यहां तक कि केजी बेसिन में मीथेन हाइड्रेट्स में मौजूद मीथेन का सबसे कम अनुमान दुनिया भर में उपलब्ध तमाम जीवाश्म ईंधन भंडार का दोगुना है।
अग्रहार रिसर्च इंस्टीट्यूट (एआरआई), भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का एक स्वायत्त संस्थान, के शोधकर्ताओं द्वारा किये गये एक हालिया अध्ययन में यह पाया गया है कि कृष्णा-गोदावरी (केजी) बेसिन में जमा मीथेन हाइड्रेट जीव-जनित (बायोजेनिक) मूल के हैं। यह अध्ययन डीएसटी-एसईआरबी युवा वैज्ञानिक परियोजना के एक अंग के रूप में आयोजित किया गया था, जिसका शीर्षक ‘एलुसिडेटिंग द कम्युनिटी स्ट्रक्चर ऑफ़ मेंथोजेनिक आर्चेए इन मीथेन हाइड्रेट’ था। मीथेन हाइड्रेट का निर्माण उस समय होता है जब महासागरों में उच्च दबाव एवं कम तापमान पर हाइड्रोजन-बोंडेड पानी और मीथेन गैस एक– दूसरे के संपर्क में आते हैं।
‘मरीन जीनोमिक्स’ नाम के जर्नल में प्रकाशित होने के लिए स्वीकार किये गये वर्तमान अध्ययन के अनुसार, एआरआई टीम ने वैसे मिथेनोजेन्स की पहचान की है जो मीथेन हाइड्रेट के रूप में दोहन किये गये बायोजेनिक मीथेन का उत्पादन करते हैं, जो ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत हो सकता है।
अध्ययन के प्रधान अन्वेषक डॉ. विक्रम बी लांजेकर ने कहा, “कृष्णा-गोदावरी (केजी) बेसिन और अंडमान एवं महानदी के तट के पास बायोजेनिक मूल के मीथेन हाइड्रेट का भारी मात्रा में निक्षेपण संबद्ध मिथोजेनिक समुदाय के अध्ययन को जरूरी बनाता है।”
एआरआई टीम के अनुसार, हाल तक, मीथेन हाइड्रेट वाले तलछट से जुड़े मिथेनोजेनिक समुदायों के बारे में बहुत थोड़े से ही अन्वेषण हुए हैं। इस अध्ययन से पता चला है कि इन ऊंचे दबाव और तापमान की स्थिति में मिथेनोजेन्स इन स्थितियों के अनुकूल होते हैं और मीथेन बनाने वाली गतिविधियों में भिन्न होते हैं। ऐसे चरम एवं प्राचीन वातावरण के तहत इन मीथेन-उत्पादक मिथेनोजेनिक समुदायों को समझना बहुत महत्वपूर्ण था। आण्विक एवं संवर्धन तकनीकों का उपयोग करने वाले इस अध्ययन से केजी बेसिन में अधिकतम मिथेनोजेनिक विविधता का पता चला है, जोकि अंडमान एवं महानदी बेसिनों की तुलना में इसे बायोजेनिक मीथेन का चरम स्रोत होने की पुष्टि करने के प्रमुख कारणों में से एक है।
उनके मॉडल पर आधारित इस काइनेटिक्स अध्ययन ने भी केजी बेसिन के हाइड्रेट्स में बायोजेनिक मीथेन पीढ़ी की मौजूदगी की दर 0.031 मिलीमोल्स मीथेन/जीटीओसी/दिन होने की भविष्यवाणी की, जिसके परिणामस्वरूप मीथेन की कुल जमा लगभग 0.56 से 7.68 मिलियन क्यूबिक फीट (टीसीएफ) है। इस अध्ययन के लिए कृष्णा गोदावरी, अंडमान, एवं महानदी बेसिन से मीथेन हाइड्रेट के निक्षेपण से जुड़े तलछट के नमूने राष्ट्रीय गैस हाइड्रेट कोर रिपोजिटरी, जीएचआरटीसी, ओएनजीसी, पनवेल, महाराष्ट्र द्वारा प्रदान किये गये थे।
एआरआई की टीम ने केजी बेसिन में जीनस मिथनोसारसीना की प्रचुरता का दस्तावेजीकरण किया है, जिसके बाद कुछ अन्य जेनेरा – मिथेनोकुल्लेअस, मिथनोबैक्टीरियम – शामिल हैं। उनके निष्कर्षों के अनुसार, प्राप्त जेनेरा में जीनस मिथनोसारसीना को चार अलग-अलग प्रजातियों – एम. सिसिलिया, एम. बरकेरी, एम. फ्लेवेस्केंस और एम. माज़िया – के साथ अधिक विविध पाया गया।
अध्ययन के प्रधान अन्वेषक डॉ. विक्रम बी लांजेकर ने कहा, “भारत के कृष्णा-गोदावरी बेसिन के मीथेन हाइड्रेट के तलछटों से मशहूर नावेल मिथेनोकुल्लेअस एसपी. एनओवी एवं मिथनोसारसीना एसपी. एनओवी पहली बार रिपोर्ट की गई है।“