www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

कृष्ण अभी तक सबसे ज्यादा माने जाने के पश्चात सबसे कम समझे जाने वाले भगवान हैं

-संदीप तिवारी राज की कलम से-

Ad 1

Positive India:संदीप तिवारी राज:
कृष्ण के साथ यात्रा करना बहुत साहस की बात है , क्योंकि कृष्ण उस सागर की भांति हैं जिसका कोई ओर – छोर नहीं , कृष्ण के सागर में अपनी बुद्धि की नाव डालना खतरनाक है क्यूंकि कभी तो वो हमें अपनी लहरों पर हमे आकाश की सैर कराते हैं ,, और कभी कभी आसमान छूती लहरे हमारे चारों ओर से आते प्रकाश को रोक लेती हैं जिसमें कृष्ण को जानना और भी मुश्किल हो जाता है ,,

Gatiman Ad Inside News Ad

बुद्ध को समझना हो तो साँसो को थाम कर बैठना पर्याप्त है ,, कृष्ण थोड़ी दूर चलने पर ही रास्ता बदलते नज़र आते हैं ,,, कब माखन खाते कृष्ण ” रास ”’ रचाने लग जाये यशोदा नहीं कह सकती ,, कब राधा का साथ छोड़ कर कृष्ण ”’ कंस-बध ”’ को निकाल पड़े किसी गोपी को कोई खबर नहीं ….

Naryana Health Ad

और कब उनकी यात्रा कुरुक्षेत्र की रचना कर दे नहीं कहा जा सकता ,, और कब अर्जुन को गीता संदेश देने वाले कृष्ण उसी अर्जुन को युद्ध के पश्चात पश्चाताप करने को कह कर हजारों सालों तक लोगों के मन मे प्रश्न-चिन्ह खड़ा कर दे जिसका जवाब आज तक हर कोई खोजता रहे ,,,,,

कृष्ण अभी तक सबसे ज्यादा माने जाने के पश्चात सबसे कम समझे जाने वाले भगवान हैं … धन्य हैं वो लोग जो आज से 5000 साल पहले भी ऐसे इंसान को भगवान मानने को राज़ी थे ,, जो चोर भी था ,, और वादा खिलाफ भी ,, उसके बाबजूद भी हमने उन्हे पूर्ण-अवतार कहा ,,,

आज तक के इतिहास में कृष्ण अकेले आध्यात्मिक व्यक्ति हैं जो जीवन के किसी भी आयाम से अछूते नहीं हैं वो भोग और त्याग में अंतर नहीं रखते ,, उनके लिए धर्म और राजनीति एक ही सिक्के के दो पहलू हैं ,,

हजारों सालों से मनुष्य अपनी वृतियों से लड़ता आ रहा है और उसके लिए इससे लड़ना इतना पीड़ादायी रहा है ,,, और इसी पीड़ा को दूर करने के लिए इतने धर्मों का जन्म हुआ ,,,, काम , क्रोध ,मोह ,लोभ , ईर्ष्या , इत्यादि इसके कारण जाने गए … और इनसे लड़ने में ही हर धार्मिक इंसान अपने जीवन के आनंद को चूक रहा है …. जबकि इन रोगों से मुक्त होने का जो तरीका कृष्ण अपनाते हैं वो आने वाले वक़्त में…पूरी दुनिया पर छाने वाला है ……
कृष्ण का दर्शन ही मेरे देखे ”” सहज मार्ग ”’ है …. उन्होने अपनी चेतना को किसी भी बंधन में नहीं रखा ,,,, उन्होने परमात्मा को धर्म के नियमों के छाते के नीचे आकार देखने की बजाय ,,,,, खुले आकाश में पूर्ण स्वीकार का साहस दिखाया ,,,, उन्होने परमात्मा को बारिश की हर बूंद के साथ महसूस किया …..

आज जिधर देखो धर्म की बाढ़ आई हुई है मंदिर के प्रांगण से लेकर टीवी के चैनलों तक हर जगह धर्म-गुरु धर्म का प्रचार करते नज़र आते हैं … और इन प्रचार को देख कर आप भी प्यासे मृग के समान पानी की खोज में चले जाते हो लेकिन जल्द ही ये सब … ममृगमरीचिका साबित होते हैं और आप अपना समय और धन बर्बाद कर वापस लौट आते हो …. और गहरे में कारण है …. शारीरिक और मानसिक बंधन … जो आपकी चेतना को बेड़ियो में बांधने का काम करते हैं ,,,,, ऐसे में कृष्ण सबसे ज्यादा प्रासंगिक नज़र आते हैं ….. जिन्होंने अपनी चेतना को मुक्त गगन में उड़ने योग्य बनाया ….. मुझे न तो कृष्ण के युवावस्था से कोई अड़चन है ,,, न ही मैं कृष्ण की जवानी में अटके रह जाना चाहता हूँ ,,,,

आज 5000 साल के बाद मैं हर युवक में कृष्ण की संभावना को देखता हूँ जो किसी बंधन में जीना नहीं चाहता ,,,, बस थोड़ी सी भूल के साथ …. ज़रूरत है जीवन को काट-छाँट कर देखने की बजाय जीवन को सयुंक्त रूप में देखने की …. यदि हम ऐसा कर सके ,,,, तो जीवन के महाभारत में….
जो हमारे चारों ओर….परिवार , राजनीति , भ्रष्टाचार , और इसी तरह की दिक्कतों के रूप में मौजूद है ,,,, उसे दर्शक की तरह देखने की बजाय हम सारथी बन कर बीच युद्ध में उसका उपाय कर सकते हैं ….. उसी रण-भूमि के मध्य ही ”” आनंद ”” मौजूद है …!!!

साभार:संदीप तिवारी राज-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

Horizontal Banner 3
Leave A Reply

Your email address will not be published.