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क्रांतिवीर बाबा भान सिंह जिन्हे सेल्युलर जेल में शहादत मिली।किस्त-5

काला पानी की सेल्यूलर जेल की अनकही कहानियां। किस्त-5

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Baba Bhan Singh
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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
कहते है आजादी के दीवानो का एक ही धर्म था, एक ही मजहब था, और एक ही मकसद था, वो मात्र इस देश को स्वतंत्रता दिलाना । क्रांतिकारियों के इस तरह के आंदोलन से अंग्रेज़ अंदर तक भयभीत हो गए थे । इसलिए उन्होंने क्रांतिकारियों के उपर जुल्म इस कदर किये कि दूसरा कोई क्रांतिकारी बनने का ना सोचे । दुर्भाग्य से इतिहास पर भी नजर डाली जाए तो इस देश के स्वतंत्रता संग्राम के लिए लोगो ने दो प्रकार की राह चुनी । एक उग्रवादी दल, जो क्रांतिकारी दल कहलाता था; दूसरे का रास्ता अहिंसक आंदोलन का रास्ता था । मंजिल एक थी, पर राहे अलग अलग थी । पर दुर्भाग्य से जैसा इतिहास कहता है कि कभी ये एक-दूसरे के समर्थन मे नही आये, जिसका फायदा अंग्रेजो को हुआ । यही कारण है कि हमारे क्रांतिकारियों के समर्थन मे फांसी की सजा मुकर्रर करने के बाद भी अपने अहिंसा के सिद्धांतो से चिपके लोगो ने अपने ही लोगो को कभी भी किसी प्रकार की सहायता प्रदान नही की । आज यही तबका आतंकवादियों के लिए रात दो बजे सुप्रीम कोर्ट खुलवा रहे है । कुल मिलाकर ये राजनीति है। उस समय भी थी और इस समय भी हो रही है ।
चलो पुनः सेल्यूलर जेल मे जाया जाये। आज मै शहीद भान सिंह से अवगत कराऊंगा । देश के इस क्रांतिवीर शहीद से शायद मैं भी परिचित न होता, अगर इनकी मूर्ति सेल्यूलर जेल के सामने के पार्क मे न रहती । बाबा भानसिंह सुपुत्र सारण सिंह, लुधियाना पंजाब के थे । सन 1915 मे जो लाहौर कांड हुआ, उसके कारण इन्हे आजन्म कारावास के तहत कालापानी की सजा के कारण सेल्यूलर जेल मे रखा गया । जेल मे जेलरक्षको के निर्ममता पूर्वक पीटने से सन 1917 मे बाबाभान सिंह शहीद हो गए । एक और क्रांतिवीर देश के लिए कुर्बान हो गया । इस शहीद को शत-शत नमन व प्रणाम ।

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लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ-अभनपूर

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