Positive India:Rajesh Jain Rahi:
राही के प्रेमपुष्प
पूछते उमर कुछ, पूछते व्यापार मेरा,
कोई प्रेम की कहानी, मेरी पूछ लेता है।
कोई कहे दिल में वो, शहजादी कौन बसी,
कोई तो सलाह उसे, भूलने की देता है।
कोई मेरी कविता के, पृष्ठ रोज पढ़ता है,
कोई दिलदार बड़ा, आप सा प्रणेता है।
कोई कहे कवि भाई, कहाँ आप लगे पड़े,
आपसे तो अच्छा मेरी, गली वाला नेता है।
लेखक:कवि राजेश जैन ‘राही’,रायपुर