जानिए कैसे आरक्षण की बैसाखी पर खड़े लोगों ने मलाई चाटने के लिए एकलव्य का फर्जी अंगूठा चला दिया बाज़ार में
-दयानंद पांडेय की कलम से-
Positive India:Dayanand Pandey:
कोई अंगूठे से ही धनुष चला कर दिखा सकता है ? बिलकुल नहीं । बल्कि धनुष चला कर देखिए । अंगूठे का इस में कोई रोल नहीं । अंगूठे के बिना भी धनुष चलाया जा सकता है । आरक्षण की बैसाखी पर खड़े लोगों ने मलाई चाटने के लिए एकलव्य का फर्जी अंगूठा चला दिया बाज़ार में और मूर्खों और साक्षरों के इस समाज में यह बिंब बदनाम हो गया । आज आप किसी का कापीराईट या किसी की ब्रांडिंग चोरी कर के देखिए । जेल और जुर्माना ही हिस्से आएगा । एकलव्य ने भी द्रोणाचार्य की विद्या चोरी की थी । द्रोणाचार्य ने सही किया था एकलव्य के साथ । और एकलव्य ने गुरु दक्षिणा ही दी थी , अपनी खुशी से । उस के साथ अत्याचार नहीं किया था द्रोणाचार्य ने , न ज़बरदस्ती की थी । फिर एकलव्य कोई दबा-कुचला निर्धन नहीं था । श्रृंगबेर राज्य का शासक था । लेकिन अंगूठे का छल का व्याकरण रच कर आरक्षण की मलाई चाटनी ज़रुर एक छल है । इस छल और कुप्रचार को समाप्त किया जाना चाहिए ।
नहीं गया तो कर्ण भी था द्रोणाचार्य के पास और द्रोणाचार्य ने कर्ण को भी सिखाने से मना कर दिया। फिर कर्ण परशुराम के पास जनेऊ पहन कर गया और झूठ बोल कर उन का शिष्य बन गया। परशुराम से झूठ यह बोला कि वह ब्राह्मण है। क्यों कि परशुराम सिर्फ़ ब्राह्मणों को ही सिखाते थे। क्षत्रिय कुल से उन का बैर जग जाहिर था। पर एक दिन क्या हुआ कि आचार्य परशुराम थक कर कर्ण की गोद में सिर रख कर सो गए। इस बीच एक कीड़ा आया और कर्ण की जांघ में काट कर खून चूसने लगा। लेकिन कर्ण ज़रा भी हिला नहीं। क्यों कि हिलने से गुरु परशुराम की नींद टूट सकती थी। परशुराम की नींद जब टूटी तो वह खून देख कर हतप्रभ रह गए। पूछा उस से कि तुम क्षत्रिय हो कर भी ब्राह्मण बन कर क्यों आए ? कहा कि ब्राह्मण होते तो एक मच्छर के काटने से भी चिल्ला पड़ते। इतना धैर्य तो सिर्फ क्षत्रिय में ही होता है। कर्ण ने बहुत सफाई दी औरकहा कि सूत पुत्र हूं। झूठ बोलने के लिए क्षमा भी मांगी। कर्ण को लेकिन माफ़ करते हुए भी आचार्य परशुराम ने एक श्राप दे दिया कि जो ब्रह्मास्त्र आदि की शिक्षा दी है , जब उपयोग का समय आएगा तब वह सब भूल जाओगे। कुछ भी काम नहीं आएगा। कुछ भी याद नहीं रहेगा। ऐसा ही हुआ भी। एकलव्य को दिए गए दंड से भी बड़ा दंड था यह। पर लोग गाना एकलव्य का ही गाते हैं। कर्ण का किस्सा , कर्ण का गाना भूल जाते हैं। क्यों कि वह उन्हें कर्ण के क्षत्रिय होने के कारण शूट नहीं करता।
साभारः दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)