Positive India:Rajesh Jain Rahi:
केसर की घाटियों में अब निशान एक है,
पत्थर नहीं मिलेंगे अब विधान एक है,
धारा हटी है स्याह अब धवल प्रभात है।
जय भारती के गीत राष्ट्र गान एक है।
‘दिनकर’ की भूमि में सँपोला पल नहीं सकता,
दाँव देशद्रोहियों का चल नहीं सकता,
टरटरा रहे हैं जो नापाक लोग हैं,
फैसला ये खास कभी टल नहीं सकता।
लेखक:कवि:राजेश जैन राही, रायपुर