केजरीवाल और कांग्रेस द्वारा सभी को तत्काल कोरोना वैक्सीन लगाने की अराजक मांग
देश में आक्रोश और अराजकता की आग भड़काने की कोशिश क्यों है.?
Positive India:Satish Chandra Mishra:
देश में असंतोष आक्रोश अराजकता की आग भड़काने की कोशिश कर रहे इन राजनेताओं और राजनीतिक दलों को ईश्वर कभी माफ नहीं करेगा।
कृपया बहुत ध्यान से पढ़िये… क्योंकि यह अत्यन्त गम्भीर एवं महत्वपूर्ण मुद्दा है।
भारत में कोरोना संक्रमण से लड़ने में, उस पर नियंत्रण करने में पूरी तरह निकम्मे नकारा असफल सिद्ध हुए केजरीवाल ने कल से एक नया राग अलापना प्रारंभ किया है। उसने कल यह मांग की है कि कोरोना की वैक्सीन सभी को तत्काल लगाई जाए तथा सारे नियम हटाकर सबको वैक्सीन लगाने की छूट दे दी जाए। बिल्कुल यही मांग कांग्रेस तथा उसके गठबंधन के दलों ने भी कर दी है। उल्लेखनीय है कि केजरीवाल के बाद कांग्रेस तथा उसके गठबंधन शासित राज्य ही कोरोना संक्रमण से लड़ने में, उस पर नियंत्रण करने में पूरी तरह निकम्मे नकारा असफल सिद्ध हुए हैं। आज प्रातः 8 बजे तक देश में कोरोना संक्रमण के कारण हो चुकी 159370 मौतों में से 10949 मौतें दिल्ली में तथा 67150 मौतें कांग्रेस तथा उसके गठबंधन शासित 5 राज्यों में हुई हैं। अर्थात पूरे देश मे हुई मौतों में से लगभग आधी 78059 (49%) मौतें दिल्ली तथा कांग्रेस और उसके गठबंधन शासित 5 राज्यों में ही हुई हैं। आज सवेरे 8 बजे तक देश में 271282 हो चुकी कोरोना संक्रमितों की संख्या में से 194602 (72%) कोरोना संक्रमित दिल्ली समेत इन्हीं 6 राज्यों में हैं। उल्लेखनीय यह भी है कि भारत की 135 करोड़ की जनसंख्या में दिल्ली समेत इन 6 राज्यों की भागीदारी केवल 25% (33.65 करोड़) है।
यह 6 राज्य कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण करने में शेष 75% भारत की तुलना में बुरी तरह नकारे निकम्मे असफल सिद्ध हुए हैं।
केजरीवाल और कांग्रेस द्वारा सभी को तत्काल कोरोना वैक्सीन लगा देने की मांग अपनी सरकारों के निकम्मेपन नकारापन तथा असफलता को छुपाने के लिए देश में आक्रोश और अराजकता की आग भड़काने की कोशिश क्यों है.? अब इसे भी समझिये।
पहले यह जान लीजिए कि लगभग 135 करोड़ की जनसंख्या वाले भारत में लोगों को 2 डोज प्रति व्यक्ति की दर से लगाने के लिए लगभग 270 करोड़ वैक्सीन की आवश्यकता होगी। लेकिन 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों को क्योंकि यह फिलहाल नहीं लगाई जा सकती है, जिनकी संख्या भारत में लगभग 20 % है। अतः भारत को लगभग 108-110 करोड़ लोगों के लिए 216 करोड़ वैक्सीन की आवश्यकता है।
अब यह भी जान लीजिए कि फिलहाल भारत में जो दो कम्पनियां इसे बना रही हैं उनकी वैक्सीन उत्पादन क्षमता कितनी है। केवल भारत नहीं बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कम्पनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने अपनी वार्षिक उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर लगभग दोगुना किया है और 50-60 करोड़ से बढ़ाकर उसे 110 करोड़ डोज प्रतिवर्ष किया है। लेकिन इस उत्पादन में से उसे एक बड़ा हिस्सा ब्रिटेन की उस एस्ट्राजेनिका को देना होगा जिसने इस वैक्सीन की खोज की है।
इसके अलावा दूसरी कंपनी भारत बायोटेक ने भी अपनी उत्पादन क्षमता को दोगुने से अधिक किया है 30 करोड़ डोज से बढ़ाकर लगभग 70 करोड़ डोज प्रतिवर्ष किया है। सरकार ने उत्पादन क्षमता वृद्धि के लिए दोनों कम्पनियों को भरपूर या यूं कहिये कि मुंहमांगी आर्थिक सहायता दी है। लेकिन तकनीकी कारणों से इतने कम समय में उत्पादन क्षमता में वृद्धि एक सीमा तक ही की जा सकती है। जो की जा चुकी है। ध्यान रहे कि दोनों ही कम्पनियां कई अन्य जीवनरक्षक वैक्सीन का भी उत्पादन करती है।जिसे किसी भी स्थिति में रोका नहीं जा सकता। अतः वर्तमान स्थिति में इस वर्ष भारत के लिए वैक्सीन की अधिकतम 150 करोड़ डोज ही उपलब्ध हो सकेगी जिसे 75 करोड़ लोगों को लगाया जा सकता है। इसीलिए सरकार ने वैक्सीन की प्राथमिकताएं तय की हैं कि पहले कोरोना वारियर्स फिर बुजुर्गों को उसके बाद अन्य को लगाई जाएगी।
उपरोक्त तथ्यों से यह स्पष्ट है कि देश में प्रत्येक नागरिक को तत्काल कोरोना वैक्सीन लगा पाना असम्भव है।
क्योंकि आम जनता इन तकनीकी बाधओं/सीमाओं से पूरी तरह अनभिज्ञ है। केजरीवाल और कांग्रेस इस सच्चाई को भलीभांति जानते भी हैं। इसीलिए जानबूझकर अराजक मांग कर रहे हैं ताकि आम जनता में आक्रोश पनपे और एक प्रक्रिया के तहत लोगों को देश में लग रही कोरोना वैक्सीन को वह आक्रोशित भीड़ ध्वस्त कर दे। ऐसा हुआ तो देश अराजकता की आग से जल उठेगा और कोरोना महामारी जो कहर ढायेगी उसकी कल्पना करना भी मुश्किल है।
ध्यान रहे कि कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण का अद्वितीय प्रदर्शन देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कर के दिखाया भी है।
कृपया इस सच्चाई को अधिकतम लोगों तक पहुंचाने का भरपूर प्रयास करिये ताकि धूर्त राजनेता और राजनीतिक दल देश में अराजकता की आग भड़काने में सफल नहीं हो सकें।🙏🏻
साभार:सतीश चंद्र मिश्रा(ये लेखक के अपने विचार है)