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केदारनाथ आस्था की कथा गाथा

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Positive India:Gajendra Sahu:
यदि मैं आपसे केदारनाथ मंदिर के सम्बंध में बात करूँ , तो आपका जवाब क्या होगा और आप इस संदर्भ की शुरूवात कैसे करेंगे ?

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किताबी ज्ञान की तरह कि- “केदारनाथ उत्तराखंड राज्य के रुद्रपरायग जिले में स्थित है ।”
या किसी पंडित की तरह कि- “केदारनाथ बारह ज्योतिर्लिंगो में से एक ज्योतिर्लिंग , चार धामों में एक धाम और पंच केदार का हिस्सा है ।”
या किसी बुज़ुर्ग , दादी-नानी की तरह कि- “केदारनाथ को पांडवो ने कुरुक्षेत्र की लड़ाई जीत कर अपने पाप धोने के लिए बनवाया था ।”

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मेरे ख़याल से आपका जवाब इन तीनो विकल्पों से हटकर एक आम आदमी की तरह होगा कि …” ओह … केदारनाथ !! जहाँ बहुत भीषण बाढ़ आई थी । कई लोग मौत की आग़ोश में सो गए।”

सच ही तो है हम केदारनाथ मंदिर को उस त्रासदी की वजह से अब और भी अच्छी तरह से जानने – पहचानने लगे है।

हम ऐसे देश के नागरिक जहाँ साइंस पर भरोसा करने से पहले आस्था पर विश्वास किया जाता है, शायद यही कारण है कि उस त्रासदी के बाद भक्तों का भगवान पर विश्वास और भी पुख़्ता हो गया और आपको जानकार हैरानी होगी कि अब केदारनाथ मंदिर के दर्शन के लिए भक्तों की संख्या में ज़बरदस्त उछाल आया है ।

इतने भयानक त्रासदी के बाद जहाँ कितने लोगों ने अपनी जान गवाँ दी , कई घर, दुकान-मकान टूट गए , बस्ती के बस्ती बह गए, पर वहीं 1000 साल पुराने केदारनाथ मंदिर को कुछ भी नही हुआ।
वजह थी वह चट्टान जो बाढ़ के वक़्त केदारनाथ मंदिर से मात्र कुछ ही दूरी पर आकर रूक गई और मंदिर को इतने बड़े त्रासदी से सुरक्षित रखा ।
लोगो की आस्था अब केदारनाथ मंदिर के साथ साथ उस चट्टान के प्रति भी बढ़ चुकी है और उस चट्टान को अब *भीमशीला* के रूप में पूजा जाता है |

पर क्या आपने कभी सोचा है कि इतनी बड़ी त्रासदी क्यूँ आई ? वो भी भगवान के दरबार में ? जहाँ लोग भगवान की पूजा,अर्चना करने जाते है । तो क्या भगवान ने अपने भक्तों की रक्षा नहीं की ? क्या भगवान अपने भक्तों से नाराज़ थे ….??
नहीं….!!

इतने ख़ौफ़नाक मंज़र के रचईता तो हम मनुष्य स्वयं है । पकृति ने मनुष्यों को जीवन व्यापन के लिए हर चीज़ मुफ़्त में दी है । पर अब मानव जाति जीवन व्यापन से उठाकर लोभ- लालच , ऐश्वर्य , वैभव के जाल में फ़सकर अपनी ही प्रकृति को घोर नुक़सान पहुँचा रहा है। अंधाधुँध जंगलो की कटाई , खनिज प्राप्ति हेतू असीमित खनन और नदियों का पानी, फ़ैक्टरी और करखानो की जागीर बन चुका है..!! जिससे प्रकृति का संतुलन पूरी तरह बिगड़ चुका है, इस कारण बाढ़ , भूकम्प और सुनामी जैसे त्रासदी का सामना करना पड़ता है।

अब भी समय है, वक़्त रहते संभल जाइए । प्रकृति के सन्तुलन को बनाए रखने में सहयोग करे, वरना प्रकृति के संकेतो को नज़रअन्दाज़ करना हमारी सबसे बड़ी भूल होगी और हमें इससे भी बड़े त्रासदी का सामना करना पड़ेगा।
लेखक:गजेंद्र साहू

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