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कश्मीर में फोन लाइनें सप्ताहांत तक बहाल हो जाएंगी, स्कूल अगले हफ्ते खुलेंगे : मुख्य सचिव

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पॉजिटिव इंडिया:न‌ई दिल्ली;भाषा.
सुब्रमण्यम ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि घाटी में शुक्रवार को राज्य सरकार के कार्यालयों में सामान्य ढंग से कामकाज हुआ और कई कार्यालयों में तो उपस्थिति ‘बेहद अच्छी’ रही ।
उन्होंने कहा कि पांच अगस्त को जब पाबंदियां लगायी गयीं, तब से न किसी की जान गयी और न कोई घायल हुआ।
पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को निरस्त कर दिया गया था और उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया गया था।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, अगले कुछ दिनों में पाबंदियों में व्यवस्थित तरीके से ढील दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि स्थिति के मद्देनजर और शांति बनाए रखने में लोगों के सहयोग को ध्यान में रखकर कदम उठाये जाएंगे।
मुख्य सचिव ने कहा, विद्यालयों को इस सप्ताहांत के बाद क्षेत्रवार खोला जाएगा ताकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो।
उन्होंने कहा कि चिंता के एक अहम विषय दूरसंचार संपर्क पाबंदी में धीरे-धीरे ढील देते हुए इसे चरणबद्ध तरीके से बहाल किया जाएगा। इस दौरान आतंकवादी संगठनों द्वारा आतंकी गतिविधियों को संगठित करने में मोबाइल कनेक्टिविटी के इस्तेमाल से उत्पन्न निरंतर खतरे को ध्यान में रखा जाएगा।
टेलीफोन लाइनों की बहाली के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, आपको आज रात और कल से क्रमिक बहाली नजर आएगी। आप कल सुबह से श्रीनगर में ढेर सारी लाइनें काम करते हुए पायेंगे। बीएसएनएल चीजों को पहले की स्थिति में लाने में महज कुछ घंटे लेगा। एक एक एक्सचेंज करके वे उसे चालू करते जायेंगे। अगले सप्ताहांत तक आप ज्यादातर लाइनें चालू पायेंगे।
जम्मू कश्मीर के 22 में से 12 जिलों में कामकाज सामान्य ढंग से चल रहा है और महज पांच जिलों में रात की पाबंदियां भर हैं।
सुब्रमण्यम ने कहा,आज जुम्मे की नमाज के बाद मिली रिपोर्ट के अनुसार राज्यभर में सबकुछ शांतिपूर्ण रहा।
इससे पहले शुक्रवार सुबह राजधानी में सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि लोगों को जम्मू कश्मीर में तैनात सुरक्षाबलों पर भरोसा करना चाहिए तथा प्रशासन रोजाना आधार पर स्थिति का जायजा ले रहा है।
उन्होंने अदालत से कहा कि क्षेत्र में सामान्य स्थिति लाने के लिए कुछ वक्त दिया जाना चाहिए।
शीर्ष अदालत कश्मीर टाईम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन की याचिका पर सुनवाई कर रही है।
भसीन ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त किये जाने के बाद पत्रकारों के कामकाज पर लगी पाबंदियां को हटाने तथा राज्यभर में मोबाइल, इंटरनेट और लैंडलाइन समेत संचार के सभी तरीकों को बहाल करने की मांग की थी।उधर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को भारत द्वारा समाप्त करने के विषय पर शुक्रवार शाम बैठक हो रही है।
जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव ने कहा, आतंकवादी संगठनों, कट्टरपंथी समूहों और पाकिस्तान की स्थिति बिगाड़ने की लगातार कोशिश के बावजूद हमने किसी की भी जान नहीं जाने दी।
उन्होंने कहा कि जैसे जैसे एक-एक कर विभिन्न क्षेत्रों में लोगों की आवाजाही पर से प्रतिबंध हटाया जाएगा, तो उन क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन भी बहाल हो जाएगा।
मुख्य सचिव ने कहा, उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में जम्मू कश्मीर में पाबंदियों में जैसे जैसे ढील दी जाएगी, जनजीवन पूरी तरह सामान्य हो जाएगा। सड़कों पर यह नजर भी आ रहा है क्योंकि सड़कों पर यातायात बिल्कुल नियमित हो चला है और हमें आने वाले दिनों में इसके बढ़ने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि एहतियात पर लोगों को हिरासत में लेने की लगातार समीक्षा की जा रही है और कानून व्यवस्था के आकलन के बाद उपयुक्त निर्णय लिये जाएंगे।
उन्होंने कहा कि प्रशासन इस तथ्य की सराहना करता है कि जम्मू कश्मीर के लोगों का सहयोग कानून व्यवस्था बनाए रखने में अहम है।सुब्रमण्यम ने कहा, फिलहाल इस बात पर जोर है कि सामान्य स्थिति यथाशीघ्र बहाल हो, साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि आतंकवादियों को दहशत फैलाने का कोई मौका नहीं दिया जाए जैसा कि अतीत में हुआ।
उन्होंने कहा कि सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाये हैं कि प्रतिबंध के दौरान जरूरी वस्तुओं और दवाइयों की कमी न हो। हज यात्रियों की स्वतंत्र आवाजाही सुनिश्चित की जाए।
उन्होंने कहा कि सरकार की सोच है कि सर्वांगीण विकास ही निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा फैलायी जा रही अलगाववादी संवेदनाओं के निराकरण के लिए सबसे भरोसेमंद समाधान है।
मुख्य सचिव ने कहा, जिन संगठनों को हिंसा फैलाने और ऐसे हमले करने के लिए जाना जाता है, वे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिज्बुल मुजाहिदीन हैं। उनकी हरकतों को दुनियाभर की सरकारों ने और संयुक्त राष्ट्र समेत अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने जाना है।
उन्होंने चीजें स्पष्ट करते हुए कहा कि पिछले एक पखवाड़े में लिये गये निर्णयों को लागू करने के लिए सीमामार आतंकवाद के मद्देनजर जो जरूरी है वह यह है कि सरकार एहतियात के तौर पर कुछ निरोधात्मक कदम उठाएं।
सरकार के कदम को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि इस बात की पक्की खबर थी कि आतंकवादी संगठन निकट भविष्य में राज्य में हमला करने की साजिश रच रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इन कदमों में स्वतंत्र आवाजाही पर रोक, बड़ी संख्या में एक स्थान पर एकत्र होने पर पाबंदी, दूरसंचार संपर्क पर प्रतिबंध तथा विद्यालय एवं स्कूलों को बंद करना शामिल हैं। शांति बनाये रखने के लिए कानून के प्रावधानों के तहत एहतियात के तौर पर कुछ व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया।
सुब्रमण्यम ने कहा कि एक मीडिया सेंटर स्थापित किया गया है ताकि मीडिया वरिष्ठ अधिकारियों की प्रेस ब्रीफिंग के साथ ही राज्य में कार्यक्रमों को कवर कर सके।उन्होंने कहा कि सभी बड़े अखबार प्रकाशित हो रहे हैं और सेटेलाइट एवं केबल टीवी नेटवर्क चालू हैं।

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