कानपुर हिंसा:जुमे की नमाज में ऐसा क्या होता है कि नमाज खत्म होते ही जेहादी बेबात पत्थरबाज़ी पर आमादा हो जाता है?
-दयानंद पांडेय की कलम से-
Positive India:Dayanand Pandey:
जेहादी न कभी डरते हैं , न दबते हैं। योगी से भी नहीं। इसी लिए जुमे की नमाज के बाद राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री का कानपुर में ज़बरदस्त स्वागत किया। बता दिया कि कश्मीर हो या कानपुर , हम सब को जहन्नुम बनाएंगे। समझ नहीं आता कि जुमे की नमाज में ऐसा क्या होता है कि नमाज खत्म होते ही जेहादी बेबात पत्थरबाज़ी पर आमादा हो जाता है?
योगी की पुलिस ने आज बाद में थोड़ी-बहुत जेहादियों की भी ख़ातिरदारी की यह अलग बात है। पर इस से क्या होता है भला ! उन का मनोबल सर्वदा ऊंचा बना हुआ है। जुमा फिर आएगा , कहीं पत्थरबाजी फिर नहीं होगी , इस की गारंटी कौन ले सकता है ? कोई ले सकता हो तो बताए भी। मेरा स्पष्ट मानना है कि इन जेहादियों का इलाज छिटपुट ख़ातिरदारी , बुलडोजर , कुर्की आदि नहीं है। इन जेहादियों का एकमात्र इलाज लाइन से खड़ा कर तोप से उड़ा देना है। कुछ और नहीं। अपने मन के संतोष के लिए संविधान में संशोधन कर के कीजिए , पर यह कीजिए। हालां कि यह जेहादी संविधान बचाने की बात तो बढ़-चढ़ कर करते हैं पर संविधान को सर्वदा ठेंगा दिखाते हैं। मानते रत्ती भर भी नहीं हैं।
साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)