Positive India:Vishal Jha:
कैसे-कैसे कारनामे किए हैं सिसोदिया ने! सीबीआई जैसी एजेंसी की गिरफ्तारी के बाद ज्यूडिशियल कस्टडी में रहते हुए, अब ईडी की फिर से दोहरी गिरफ्तारी! पिछली सरकारों में एजेंसियां आरोपितों को गिरफ्तार तो करती थी, लेकिन मेहनत नहीं करती थी। ठीक से चार्जशीट जुटाना मुश्किल हो जाता था। टेररिज्म एक्ट जैसे मामलों में तो केवल धारा की गंभीरता के आधार पर कारावास चालू रहता था। एजेंसियां सोई रहती थी।
आज एजेंसियों की सक्रियता एक नया आयाम लिख रही है। परिहास में चाहे जो कहा जाए मनीष सिसोदिया डिप्टी सीएम थे। कोई मामूली बात नहीं है। और देशभर में एक खास अर्बन नक्सली विचारधाराओं में लोकप्रिय ऊपर से। लेकिन जांच एजेंसियों ने कितना जोखिम उठाया। ईडी ने आज फिर से गिरफ्तार किया है। यह अपने आप में एजेंसियों के कॉन्फिडेंस की बात है। इतने बड़े जोखिम में सिसोदिया को उनके अंजाम तक पहुंचा देना तय है।
किसी भी एजेंसी के कार्य करने के कई स्तर होते हैं। किसी एजेंसी का एक शीर्ष अधिकारी शासक के प्रति निष्ठावान हो सकता है। लेकिन स्पॉट पर इन्वेस्टिगेशन हर जगह वह स्वयं नहीं कर सकता। वहां एजेंसी के अदना अधिकारी ही जाएंगे। कहीं से भी स्लिप होने की संभावना होती है। कहीं से भी निष्ठा भंग होने की संभावना होती है। लेकिन जिस प्रकार से दिल्ली से लेकर कश्मीर तक इन एजेंसियों ने साख बनाए रखा है, बड़ी-बड़ी हस्तियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया, ना केवल निष्ठा की बात है बल्कि इसमें श्रम भी है। जिस देश का राजा इतना श्रमशील हो, प्रशासन भी स्वाभाविक रूप से मेहनती होगा ही। इन जांच एजेंसियों को मेरा आभार।
साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार है)