पॉजिटिव इंडिया: राजेश जैन राही:
लेखनी है कच्ची मेरी, ज्ञान भी अधूरा मेरा,
कहो राम आपको मैं, कैसे लिख पाऊँगा।
भाईचारा आप वाला, भावना से ओत-प्रोत,
शिष्टाचार आपका मैं, कैसे बतलाऊँगा।
पिता के मनोरथ को, भाँपकर वन गए,
शबरी के जूठे बेर, कैसे जान जाऊँगा।
सीता के वियोग वाला, दुख लिखने के लिए,
प्रभु राम शब्द, भाव, कहाँ से मैं लाऊँगा।
लेखक:कवि राजेश जैन राही, रायपुर