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का बा की गायिका नेहा सिंह ने काउंटर में गाने वालो को चारण और भाट क्यों करार दे दिया ?

-विशाल झा की कलम से-

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Positive India:Vishal Jha:
नेहा सिंह बहुत बहादुर है। उन्होंने ‘का बा’ के काउंटर में गाने वाले को चारण और भाट करार दे दिया है। लेकिन नेहा सिंह ने ये नहीं बताया कि जितने भी लोगों ने ‘का बा’ के काउंटर में गीत गाया है, उनमें से कितनों को यश भारती पुरस्कार मिला है? नेहा सिंह की बातों से मैं राजी होना चाहता हूं। पूर्ववर्ती सरकारों ने चारण भाट वास्तव में पाला था। पुरस्कार सम्मान भी मिलते थे चारण भाट को। लेकिन नेहा सिंह राठौर इस बात का उत्तर नहीं देगी कि यश भारती पुरस्कार के जरिए पचास हजार रुपये मासिक पेंशन पाने वाले युवान दरबारी चारण भाट आज किस तरफ खड़े हैं?

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नेहा सिंह चारण भाट बोलकर आज के इस लोकतंत्र को साधना चाहती है। नेहा को समझना चाहिए कि जब आज सरकारें बदल जाती है, तब पुराने चारण भाट नहीं रह जाते। जैसा कि राजतंत्र में हुआ करता था। पिछली सरकारों वाली चारण भाट को पुरस्कार और सम्मान मिलना बंद हो जाता है। इसलिए वर्तमान सरकार में आज यश भारती पुरस्कार मिलना बंद हो गया है। प्रजातंत्र की नब्ज पहचानने वाली सत्ता संगठन अच्छी तरह समझती है कि सत्ता में बने रहने का अंतिम शस्त्र प्रजारंजन है। पत्रकार, साहित्यकार अथवा दरबारी गायक खुश ना हों तो भी अधिक फर्क नहीं पड़ता।

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दरबारी पत्रकार और साहित्यकार के लाख प्रशंसा के बावजूद जनता यदि नाखुश है तो वह सत्ता बदल ही देती है। जनता के अपने सवाल होते हैं। जनता अपने सवाल का हल चाहती हैं। यदि नई सरकार जनता के प्रश्नों का लगातार हर करती चली जाए तो जनता खुश रहती है। ऐसे में उस सरकार से फिर से कोई प्रश्न करना आवश्यक नहीं रह जाता। जब तक सरकार काम करती रहती है जनता उसे सत्ता में बनाए रखती है। इस कोशिश में जनता सरकार के विरोधियों तक से भी लड़ जाती है। अपनी आवाज बुलंद कर देती है। फिर नेहा सिंह राठौर जैसी गायिका इस आम आवाज को ही चारण और भाट करार दे देती है।

हर एक वोटर आज किसी न किसी राजनीतिक विचारधारा के हिस्से में मौजूद है। इसलिए नेहा सिंह राठौर सत्ता से प्रश्न पूछते हुए यह नहीं कह सकती कि वह सरकार से जनता का प्रश्न पूछ रही है। आज एक नेहा सिंह पूरी जनता के प्रश्नों का गायन नहीं कर रही। नेहा सिंह के प्रश्न हमारे प्रश्न नहीं हैं। हमारे प्रश्न अलग हैं। मथुरा कब बनेगा? ज्ञानवापी कब ढ़ाहा जाएगा? वक्फ बोर्ड के कब्जे से सारे जमीन कब आजाद कराए जाएंगे? दंगाई समुदाय को कब नष्ट किया जाएगा? यूपी जिहाद मुक्त कब बनेगा? लेकिन नेहा जो प्रश्न पूछ रही है उसमें हमारे ये प्रश्न शामिल हो ही नहीं सकते। क्योंकि नेहा भी किसी राजनीतिक विचारधारा के हिस्से में मौजूद है। इसलिए विरोध और सवाल के नाम पर नेहा को शायद कोई ऐसी सरकार चाहिए जो नेहा जैसों के लिए यश भारती पुरस्कार घोषित करे और नेहा एक दरबारी गायिका बन सके। क्योंकि वर्तमान सत्ता में दरबारियों के लिए कोई स्थान नहीं।

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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