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NCRB के दस्तावेजों के अनुसार उत्तरप्रदेश में नहीं बंगाल में चल रहा है जंगलराज

ममता बनर्जी के सफ़ेद झूठ का पर्दाफास करते NCRB के आकड़े ।

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Positive India:Satish Chandra Mishra:
NCRB के दस्तावेजों में दर्ज है यह राज कि उत्तरप्रदेश में नहीं बंगाल में चल रहा है जंगलराज।
पढें यह👇🏻सच्चाई।
आजकल उत्तरप्रदेश के विरुद्ध खुलकर जमकर ज़हर उगल रही, उत्तरप्रदेश में जंगलराज का राग अलाप रही ममता बनर्जी के सफ़ेद झूठ का शर्मनाक सच यह है…

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प्रारंभ में ही यह स्पष्ट कर दूं कि बंगाल देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जिसने 2018 के बाद की आपराधिक घटनाओं का रिकॉर्ड NCRB (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) के पास भेजना बंद कर दिया है। यही काऱण है कि इस पोस्ट में उत्तरप्रदेश और बंगाल में अपराध की स्थिति की तुलना का आधार वर्ष मैंने 2018 को ही बनाया है। ममता बनर्जी की सरकार ने 2018 के बाद का आपराधिक घटनाओं का रिकॉर्ड NCRB के पास भेजना क्यों बंद कर दिया है.? इसका उत्तर आगे की कहानी में आपको स्वतः मिल जाएगा।
NCRB के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018 में देश की लगभग 130 करोड़ जनसंख्या में 22.30 करोड़ जनसंख्या के साथ उत्तरप्रदेश की हिस्सेदारी लगभग 17.15 प्रतिशत थी तथा 9.65 करोड़ जनसंख्या के साथ बंगाल की हिस्सेदारी लगभग 7.42 प्रतिशत थी।

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वर्ष 2018 से सम्बंधित NCRB के आंकड़े यह बताते हैं कि 2018 में देश में कुल 28,75,936 आपराधिक घटनाएं हुई थीं। इन आपराधिक घटनाओं में से 3,42,355 घटनाएं 153.52 प्रति लाख की दर से उत्तरप्रदेश में हुईं थीं। जबकि 163.32 प्रति लाख की दर से बंगाल में 1,57,610 आपराधिक घटनाएं हुईं थीं। अर्थात बंगाल में आपराधिक घटनाओं की दर उत्तरप्रदेश से 6.4% अधिक थी।

वर्ष 2018 से सम्बंधित NCRB के आंकड़े यह बताते हैं कि 2018 में देश में कुल 28431 हत्याएं हुई थीं।
इनमें से 4018 हत्याएं 1.80 प्रति लाख की दर से उत्तरप्रदेश में हुईं थीं। जबकि 2.00 प्रति लाख की दर से बंगाल में 1933 हत्याएं हुईं थीं। अर्थात बंगाल में हत्याओं की दर उत्तरप्रदेश से 11% अधिक थी।

वर्ष 2018 से सम्बंधित NCRB के आंकड़े यह भी बताते हैं कि 2018 में देश में हत्या के प्रयास की 50,882 घटनाएं हुई थीं। इनमें से 4834 घटनाएं 2.16 प्रति लाख की दर से उत्तरप्रदेश में घटी थीं। जबकि 12.50 प्रति लाख की दर से बंगाल में 13557 घटनाएं घटी थीं। अर्थात बंगाल में हत्या के प्रयास सरीखे जघन्य अपराध की दर उत्तरप्रदेश से 480 % अधिक थी।

वर्ष 2018 से सम्बंधित NCRB के आंकड़े यह भी बताते हैं कि देश में डकैती की कुल 3451 घटनाएं हुईं थीं।इनमें से 144 घटनाएं 00.06 प्रति लाख की दर से उत्तरप्रदेश में हुईं थीं। जबकि 00.06 प्रति लाख की ही दर से बंगाल में 56 घटनाएं हुई थीं। अर्थात बंगाल में डकैती सरीखे जघन्य अपराध की दर उत्तरप्रदेश के बराबर ही थी।

वर्ष 2018 से सम्बंधित NCRB के आंकड़े यह भी बताते हैं कि देश में 2018 में फिरौती के लिए अपहरण करने की कुल 649 घटनाएं हुईं थीं। इनमें से 32 घटनाएं उत्तरप्रदेश में हुईं थी और उत्तरप्रदेश से 44% अधिक 46 घटनाएं बंगाल में हुईं थीं।

वर्ष 2018 से सम्बंधित NCRB के आंकड़े यह भी बताते हैं कि देश में 2018 में अलग-अलग कारणों से लोगों का अपहरण करने की कुल 12099 घटनाएं हुईं थीं। इनमें से 882 घटनाएं 00.39 प्रति लाख की दर से उत्तरप्रदेश में हुईं थीं। जबकि 1.08 प्रति लाख की दर से बंगाल में 1048 घटनाएं हुई थीं। अर्थात बंगाल में अलग-अलग कारणों से लोगों का अपहरण करने सरीखे जघन्य अपराध की दर उत्तरप्रदेश से 177 % अधिक थी।

वर्ष 2018 से सम्बंधित NCRB के आंकड़े यह भी बताते हैं कि देश में 2018 में जाली नोट के 1191 मामले उजागर हुए थे। इनमें से 00.10 प्रति लाख की दर से 228 मामले उत्तरप्रदेश में उजागर हुई थे और 00.26% प्रति लाख की दर से 208 मामले बंगाल में उजागर हुए थे। अर्थात बंगाल में जाली नोटों के देशघाती देशविरोधी अपराध के मामलों की दर उत्तरप्रदेश से 160% अधिक थी।

वर्ष 2018 से सम्बंधित NCRB के आंकड़े यह भी बताते हैं कि देश में 2018 में महिलाओं के विरुद्ध घटी आपराधिक घटनाओं की संख्या 3,22,949 थी। इनमें से 49262 घटनाएं 22.10 प्रति लाख की दर से उत्तरप्रदेश में हुईं थीं। जबकि 33.70 प्रति लाख की दर से बंगाल में 32513 घटनाएं हुईं थीं। अर्थात बंगाल में महिलाओं के विरुद्ध आपराधिक घटनाओं सरीखे घृणित अपराध की दर उत्तरप्रदेश से 52.50 % अधिक थी।

वर्ष 2018 से सम्बंधित NCRB के आंकड़े यह भी बताते हैं कि देश में 2018 में महिलाओं के ऊपर हमले की आपराधिक घटनाओं की संख्या 46084 थी। इनमें से 4214 घटनाएं 1.88 प्रति लाख की दर से उत्तरप्रदेश में घटी थीं। जबकि 1.90 प्रति लाख की दर से बंगाल में 1837 घटनाएं घटी थीं। अर्थात बंगाल में महिलाओं के ऊपर हमले सरीखे घृणित अपराध की दर भी बहुत कम अंतर से ही सही लेकिन उत्तरप्रदेश से अधिक थी।

वर्ष 2018 से सम्बंधित NCRB के आंकड़े यह भी बताते हैं कि देश में 2018 में हुई बलात्कार के प्रयास सरीखी घृणित आपराधिक घटनाओं की संख्या 4098 थी। इनमें से 661 घटनाएं 00.30 प्रति लाख की दर से उत्तरप्रदेश में घटी थीं। जबकि 00.98 प्रति लाख की दर से बंगाल में 944 घटनाएं घटी थीं। अर्थात बंगाल में महिलाओं के विरुद्ध बलात्कार के प्रयास सरीखे घृणित अपराध की दर उत्तरप्रदेश से 227 % अधिक थी।

वर्ष 2018 से सम्बंधित NCRB के आंकड़े यह भी बताते हैं कि देश में 2018 में बलात्कार सरीखी घृणित आपराधिक घटनाओं की संख्या 32013 थी। इनमें से 1.77 प्रति लाख की दर से उत्तरप्रदेश में 3946 घटनाएं घटी थीं। जबकि 1.11 प्रति लाख की दर से बंगाल में 1069 घटनाएं घटी थीं। अर्थात उत्तरप्रदेश में महिलाओं के विरुद्ध बलात्कार सरीखे घृणित अपराध की दर बंगाल से 60 % अधिक थी।

वर्ष 2018 से सम्बंधित NCRB के आंकड़े यह भी बताते हैं कि देश में 2018 में महिलाओं पर एसिड अटैक की 240 घटनाएं हुईं थीं। इनमें से 40 घटनाएं उत्तरप्रदेश में हुईं थी और उत्तरप्रदेश से 20% अधिक 50 घटनाओं के साथ एसिड अटैक के मामले में बंगाल देश में पहले स्थान पर था।

NCRB में दर्ज उपरोक्त आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2018 में हत्या, हत्या का प्रयास, डकैती, अपहरण, बलात्कार, बलात्कार का प्रयास तथा महिलाओं के ऊपर हमले और एसिड अटैक सरीखे 11 जघन्य अपराधों में से 9 में बंगाल उत्तरप्रदेश से आगे था। एक में बराबर था और केवल एक में पीछे था। कुल आपराधिक घटनाओं के मामले में भी बंगाल उत्तरप्रदेश से आगे था।
यहां विशेष रूप से उल्लेखनीय तथ्य यह है कि 2018 तक मुख्यमंत्री के रूप में ममता बनर्जी लगभग साढ़े छह वर्ष का अपना कार्यकाल पूरा कर चुकी थीं। जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मात्र पौने दो वर्ष का अपना कार्यकाल पूरा किया था।
उपरोक्त तथ्य ममता बनर्जी के सफ़ेद झूठ का शर्मनाक सच उजागर कर रहे हैं…
साभार:सतीश चंद्र मिश्रा-एफबी(ये लेखक के अपने विचार)

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