Positive India:रायगढ़. जिंदल स्टील एंड पाॅवर लिमिटेड के रायगढ़ संयंत्र की स्थापना के तीस वर्ष पूरे होने पर संयंत्र मे ’पर्ल जुबली’ समारोह का आयोजन किया गया। आयोजन में ओपी जिंदल समूह की चेयरपर्सन इमरिट्स श्रीमती सावित्री जिंदल सहित पूरा जिंदल परिवार उपस्थित रहा। समारोह की शाम पोलो ग्राउंड में उपस्थित हजारों लोगों को संबोधित करते हुए जेएसपीएल के चेयरमैन नवीन जिंदल ने संयंत्र की स्थापना से लेकर आज दुनिया के तीन महाद्वीपों में अपनी पैठ जमाने और रायगढ़ में 2 लाख टन के उत्पादन से शुरूआत कर आज 36 लाख टन सालाना के इस्पात उत्पादन की विकासयात्रा को साझा किया। जेएसपीएल में 25 वर्ष से अधिक समय से सेवाएं दे रहे कर्मचारियों को भी जिंदल परिवार ने सम्मानित किया। स्थापना के बाद से पहली बार पर्ल जुबली के अवसर पर जेएसपीएल रायगढ़ में जिंदल परिवार के सभी सदस्य एक साथ पहुंचे। इनमें श्रीमती सावित्री जिंदल के साथ जिंदल साॅ लिमिटेड के चेयरमैन पृथ्वीराज जिंदल, जेएसडब्ल्यू के चेयरमैन सज्जन जिंदल, जेएसएल के चेयरमैन रतन जिंदल, जेेएसपीएल के चेयरमैन नवीन जिंदल सहित उनका परिवार और मित्रगण भी शामिल थे। जेएसपीएल परिसर स्थित पोलो ग्राउंड में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए श्री जिंदल ने सबसे पहले अपने पिता और समूह के संस्थापक श्री ओपी जिंदल को याद किया। उन्होंने कहा कि ’बाबूजी हमेशा कहते थे कि कारखाना एक मंदिर है और यहां काम करने वाले सभी लोग पुजारी। उन्होंने रायगढ़ में एक बीज रोपा था, जो अब विशाल बनकर पूरी दुनिया पर छा गया है। इसका टर्नओवर अब 4.5 लाख करोड़ रूपए तक पहुंच गया है। जेएसपीएल ने 75 हजार करोड़ से ज्यादा निवेश किया है, 1 लाख से अधिक परिवारों को इससे रोजगार मिल रहा है और 40 हजार करोड़ रूपए से ज्यादा कंपनी ने टैक्स के रूप में सरकार को दिया है।’
नवीन जिंदल ने कहा कि ’बाबूजी को रायगढ़ से बेहद गहरा लगाव था। यहां के लोगों से उन्हें जो अपनापन मिला, वह अनोखा था। रायगढ़ में शुरूआती दिनों में रतेरिया धर्मशाला में रहकर उन्होंने संयंत्र की स्थापना की थी। अल सुबह से देर रात तक वे लोगों से घिरे रहते थे। यही वजह है कि आज तक पूरे जिंदल परिवार से सभी का जुड़ाव बना हुआ है। रायगढ़ संयंत्र से पहले 2 लाख टन सालाना इस्पात उत्पादन की योजना थी। आज हम यहां 36 लाख टन प्रतिवर्ष इस्पात बना रहे हैं। दुनिया की सबसे लंबी 121 मीटर की रेल, देश का इकलौता हेड हार्डन्ड रेल बनाने का संयंत्र, 3 मीटर चैड़ी क्वाइल, पैरलल फ्लैंज बीम जैसे प्रोडक्ट्स यहां बन रहे हैं। यह बाबूजी के आशीर्वाद का ही नतीजा है।’ इससे पहले समारोह की शुरूआत दीप प्रज्जवलन से हुई। फिर प्रख्यात नृत्यांगना अदिती मंगलदास ने अपनी टीम के साथ कथक की प्रस्तुति दी। फिर मुंबई से आए कलाकारों ने जेएसपीएल की स्थापना, उद्भव और विकास विषय पर आधारित एक नाटक की प्रस्तुति दी। जिंदल समूह की नई पीढ़ी के अभ्युदय जिंदल और वेंकटेश जिंदल ने मंच पर रोचक अंदाज में श्रीमती सावित्री जिंदल, पृथ्वीराज जिंदल, सज्जन जिंदल, रतन जिंदल और नवीन जिंदल से सवाल पूछे। इसका चारों ने ही बेहद रोचक जवाब भी दिया। इसका सभी उपस्थितों ने खूब आनंद उठाया। समारोह के अंत में लेजर लाइट एंड साउंड शो का आयोजन किया गया। आभार प्रदर्शन वेंकटेश जिंदल ने किया। इस दौरान रायगढ़ विधायक प्रकाश नायक, लैलूंगा विधायक चक्रधर सिदार, धर्मजयगढ़ विधायक लालजीत सिंह राठिया, पूर्व विधायक रोशनलाल अग्रवाल, कलेक्टर यशवंत कुमार, पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार अग्रवाल, जिंदल परिवार के सभी सदस्य व जेएसपीएल परिवार के सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
पूरी तरह स्वदेशी है रायगढ़ संयंत्र
चेयरमैन नवीन जिंदल ने कहा कि ’वर्ष 1994-95 में प्लांट के लिए कोयले की आपूर्ति में दिक्कत आ रही थी, जब बाबूजी ने कोयला मंत्रालय से संपर्क किया। जवाब मिला कि उत्पादन कम होने के कारण हम अतिरिक्त कोयला तो नहीं दे सकते, लेकिन आप चाहें तो खदान ले सकते हैं। बाबूजी ने तमनार में जाकर कोयले का सैंपल लिया और जांच करवाई। जांच में कोयले का सैंपल रिजेक्ट हो गया। इसके बावजूद बाबूजी इस पर दृढ़ थे कि हमें कोयले के लिए अपनी खान विकसित करनी चाहिए। उन्होंने कोयला वाश करके उपयोग शुरू किया। यहां से निकलने वाले कोयले का सिर्फ एक तिहाई हिस्सा ही स्पंज आयरन बनाने के काम आता था। बाकी बचे दो तिहाई रिजेक्ट कोयले से हमने बिजली बनानी शुरू की। रायगढ़ संयंत्र पूरी तरह स्वदेशी है।
जेपीएल की सफलता देखकर देश में लगे 1 लाख मेगावाट क्षमता के पावर प्लांट
उन्होने कहा कि ’जब मैं विदेश से पढ़ाई पूरी कर पहली बार रायगढ़ आया, तब यहां सालाना लगभग 50 करोड़ रूपए का नुकसान होता था। यह देखकर मैं परेशान था, लेकिन बाबूजी ने मुझेे भरोसा दिलाया कि एक दिन इसी प्लांट से 100 करोड़ का मुनाफा होगा। उनकी बात सच साबित हुई और हमने इसी संयंत्र से 500 करोड़ रूपए तक कमाए। तमनार में हमने देश का पहला 1 हजार मेगावाट क्षमता का मेगा पावर प्लांट लगाया। इसकी कामयाबी देखकर देश में करीब 1 लाख मेगावाट के संयंत्र लगे और देश में बिजली की किल्लत दूर हुई।
तिरंगे की आजादी के संघर्ष को किया याद
नवीन जिंदल ने कहा कि ’रायगढ़ की इस धरती से ही मैंने जनवरी 1993 में तिरंगे की आजादी का संघर्ष शुरू किया था। आज हर भारतवासी गर्व से तिरंगा दर्शा सकता है। प्लांट में लगे तिरंगे को देखकर यहां काम करने वाले हर व्यक्ति के मन में देश के लिए काम करने का भाव आता है। हमारा तिरंगा जाति, धर्म, स्थानीयता, दल से ऊपर है। उसी तरह प्लांट में भी सभी लोग सच्चे हिंदुस्तानी की तरह काम करते हैं। उन्होंने कहा कि यह संयंत्र स्वच्छता का जीता-जागता उदाहरण है।’
जेएसपीएल कर्मियों के 25 वर्ष की सेवा अवधि की पूर्णता को सम्मानित किया गया
पर्ल जुबली समारोह के दौरान शाम को ओपी जिंदल स्कूल परिसर स्थित आॅडिटोरियम में जेएसपीएल समूह के सभी ऐसे कर्मचारियों का सम्मान किया गया, जिन्होंने अपनी सेवा के 25 या इससे अधिक वर्ष पूरे कर लिए हैं। ऐसे 600 से अधिक कर्मचारियों का सम्मान किया गया। समारोह में श्रीमती सावित्री जिंदल, पृथ्वीराज जिंदल, सज्जन जिंदल, रतन जिंदल व नवीन जिंदल ने सभी कर्मचारियों की हौसला-अफजाई करते हुए कहा कि जेएसपीएल में काम करने वाले सारे कर्मचारी जिंदल परिवार का ही हिस्सा हैं। सभी की एकजुटता, मेहनत और लगन के कारण ही समूह आज इतनी ऊंचाई तक पहुंचा है। कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन जेएसपीएल रायगढ़ के कार्यपालन निदेशक दिनेश कुमार सरावगी ने किया। लगभग तीन दशक लंबी सेवा के लिए श्रीमती सावित्री जिंदल के हाथों सम्मानित होने के बाद आभार प्रदर्शन करते हुए उन्होंने अपने अनुभव साझा किए और समूह के प्रति आभार जताया।
“आशा-द-होप” ने जीत लिया सभी का दिल
पर्ल जुबली के दौरान जेएसपीएल फाउंडेशन की चेयरपर्सन श्रीमती शालू जिंदल ने जिंदल परिवार की सभी महिलाओं को पहले संयंत्र, फिर सीएसआर के तहत किए जा रहे कार्यों का भ्रमण कराया। आशा- द होप में भ्रमण के दौरान अतिथियों ने विशेष बच्चों के साथ समय बिताया। सभी ने यहां किए जा रहे कार्यों की सराहना की। इसके बाद टीम सेनेटरी नेपकीन निर्माण इकाई, व्यवसायिक प्रशिक्षण केंद्र, टेराकोटा आर्ट, बांस कला, मिट्टी कला आदि के विकास के लिए चलाए जा रहे प्रोजेक्ट्स के बारे में भी अतिथियों को जानकारी दी गई। ओपी जिंदल कम्यूनिटी काॅलेज के स्टाॅल में काॅलेज में चलाए जा रहे प्रशिक्षण और इसके लाभ में विस्तृत जानकारी दी गई।
Positive India (www.positiveindia.net.in)has been started in the year 2012 at Raipur by Purshottam Mishra of Chhattisgarh-India. Positive India is offline weekly newspaper and www.positiveindia.net.in is online daily newsportal.Positive India is very active on social media platforms.