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जिन्ना की सोच वाले आज भी देश का माहौल बिगाड़न रहे है

काश्मीर पंडितो के लिए इनके हलक से आवाज बंद हो जाती है !

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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:आज यहा साम्प्रदायिक माहौल खराब करने की पुरजोर कोशिश की जा रही है । विशेषकर मोदी जी के आने के बाद तथाकथित धर्म निरपेक्षता के झंडाबरदारो को जहां परेशानी हो रही है । वही कट्टरपंथी ताकत की भी चुनौती मिल रही है । यही कारण है उनमे छटपटाहट ज्यादा है । विगत सात दशक से धमॆनिरपेक्षता के नाम से तुष्टिकरण के खेल ने इनके हौसले और बुलंद कर दिये थे । इसलिए आज की सरकार इनके लिए बर्दाश्त से बाहर हो गई है । कितने दुर्भाग्य की बात है रोहिंगया के लिए, बांग्लादेश विस्थापित के लिए भी ये एक हो जाते है; पर काश्मीर पंडितो के लिए इनके हलक से आवाज बंद हो जाती है । मुझे कहने मे कही संकोच नही है की जिन्ना की सोच वाले आज भी देश का माहौल बिगाड़ने मे लगे हुए है । पाकिस्तान बनने के बाद भी उस सोच के लोग आज भी विधमान है । वही धर्म निरपेक्षता के नाम से राजनीति करने वाले उन्हे पोष भी रहे है । यही कारण है जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय मे भारत तेरे टुकड़े होंगे लगाने मे इन्हे शम॔ भी महसूस नही होती । इन लोगो मे राष्ट्रीयता की की भारी कमी है । ये लोग आज भी बाबर , औरंगजेब , नादिरशाह , तैमूर लंग , टीपू सुल्तान जैसे लुटेरे के हिमायती है तो इन्हे इस देश से क्यो लगाव होने लगे । पर दूसरी तरफ राष्ट्रवादी मुस्लिम का वो इतिहास भी मौजूद है जिसने इस देश को गौरवान्वित किया है । इन्होंने इस देश के लिए अपने जान की भी परवाह नही की । मैं इतिहास के पन्ने खोलू तो दारा शिकोह जैसा सूफी संत जिसे अपने धर्म के साथ हिन्दू धर्म ग्रंथ का भी काफी अध्ययन था । उसकी सूफी सोच ही दुर्भाग्य से उसके मौत का कारण भी बनी । दारा शिकोह के बाद परंपरा रसखान ने दोहो के माध्यम से धमॆनिरपेक्षता की अपनी छवि रखी । महाराज शिवाजी का एक सेनापति भी मुस्लिम था । आज के समय के नेवी चीफ और उस समय का दरिया सारंग इब्राहिम खान था । आज ऐसे भारत माता के लिए अपने जान निचछावर करने वालो से इतिहास भरा हुआ है । अगर अशफाक उल्ला खान जो देश की स्वतंत्रता के कम उम्र मे हसते हसते फांसी के फंदे मे झूल गये । इस देश का पहला परमवीर चक्र मेजर जनरल उस्मान जिन्होंने आजादी के तुरंत बाद ही काश्मीर मे अपनी शहादत थी । परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद जिसने 1965 के युद्ध मे पाक के अकेले ही पैटन टैंक उड़ा दिए थे । उसमे शहीद भी हो गए थे । आज भी काश्मीर मे देश के काश्मीर पुलिस के पंडित युसूफ ने अपनी जान गंवाकर शहीद हुए । इतिहास मे औरंगजेब का शासन को याद नही करना चाहते पर आज के औरगजब ने बिना डरे अपनी शहादत दे दी । ऐसे सूरमाओ को देश का सैल्यूट और नमन । अभी ये आलेख खत्म नही हुआ है । इस पर आगे भी लिख रहा हू ।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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