Positive India:Rajesh Jain Rahi:
जनक के बोल सुन, लखन जी लाल हुए,
क्रोध भरे शब्द तीन, लोक नापने लगे।
अक्षरों का ताप देख, वीर का प्रताप देख,
कपटी कुटिल कई, राजा काँपने लगे।
सुर नर मुनि जन, भावना समझ कर,
जीत वाले राम जी के, मंत्र जापने लगे।
रघुराई देख कर, मन में मगन हुए,
विश्वामित्र के नयन, वक्त भाँपने लगे।
लेखक:राजेश जैन राही, रायपुर