Positive India:Neelima Mishra:
जब शारदीय आभा चहुँ ओर ,
छा जाती है।
तब नव नव रुप धर कर ,
माँ आती है।
मेघ विहीन हो जब नभ में,
नीलिमा छा जाती है,
तब नव नव रुप धरकर ,
माँ आती है।
शीतल मधुर बयार जब मन को ,
सिहराती है,
तब नव नव रुप धरकर ,
माँ आती है।
भर जाते हैं पुरइन पत्तों से सरोवर,
और कुमुद खिल जाती है,
तब नव नव रुप धरकर ,
माँ आती है,
मंथर हो उठती हैं जब लहरें और,
और नदी मुस्कुराती है,
तब नव नव रुप धरकर,
माँ आती है,
नौ दिन नव श्रृंगार करती माँ बच्चों पर,
कृपा बरसाती है,
जब जाती तब भक्तों को रुलाती ,
फिर आने का संदेश दे जाती है।।
शारदीया माँ दुर्गा को प्रणाम
लेखिका:नीलिमा मिश्रा