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वांटेड अपराधी को मंत्री पद की शपथ दिलाने की परंपरा तो भाजपा ने ही बनाई है

-दयानंद पांडेय की कलम से-

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Positive India:Dayanand Pandey:
नीतीश सरकार में क़ानून मंत्री कार्तिकेय सिंह के अपहरण मामले में उस के ऊपर वारंट पर भाजपा बेवज़ह हंगामा मचाए हुई है। राजद का जंगलराज अपहरण उद्योग की ही बुनियाद पर टिका हुआ है। तो अगर क़ानून मंत्री ख़ुद ही अपहरण उद्योग का किंगकांग है तो इस में ऐतराज किस बात का और काहे भला। पटना हाईकोर्ट का सरेंडर करने का आदेश बहुत पुराना है। उसी सिलसिले में 16 अगस्त को थाने में सरेंडर करने के बजाय , मंत्री पद की शपथ भी ले ली तो कौन सा आसमान टूट गया। अगर सरकार बनने के पहले ही कागज़ों में हेर-फेर कर अनृम सुरक्षा की तारीख़ वग़ैरह बढ़ाई-घटाई गई है तो इस में भी हंगामा मचाने की क्या ज़रुरत ? फिर नीतीश कुमार अगर कह रहे हैं कि उन्हें इस बारे में कुछ नहीं मालूम। तो ठीक ही कह रहे हैं। असल मुख्यमंत्री तो तेजस्वी यादव हैं। नीतीश कुमार अब मुखौटा मुख्यमंत्री हैं। यह बात भी भला कोई बताने की है।

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भाजपा भी इस मामले में उतनी ही ज़िम्मेदार है जितना कोई और। वांटेड अपराधी को मंत्री पद की शपथ दिलाने की परंपरा भाजपा ने ही बनाई है। अगर लोग भूल गए हैं तो याद दिलाता चलूं कि बसपा और कांग्रेस में तोड़-फोड़ कर कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश में दूसरी बार 1997 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने आए तो उन के मंत्रिमंडल में शपथ लेने वाले तमाम दुर्दांत अपराधी भी थे। हरिशंकर तिवारी जैसे कई लोग तब पहली बार मंत्री बने थे। यहां तक तो फिर भी ग़नीमत थी। राजा भइया जैसे अपराधी ने भी उसी दिन मंत्री पद की शपथ ली। निर्दलीय विधायक था राजा भइया। तमाम बस्तियां जलाने का आरोपी था। और उस समय राजा भइया पर भी अपहरण के ही मामले में वारंट था। नान बेलेबिल वारंट।

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जब मैं ने उसे राजभवन में बैठे देखा तो शपथ के ठीक पहले मैं तत्कालीन पुलिस महानिदेशक श्रीराम अरुण के पास गया। श्रीराम अरुण ईमानदार और सख़्त छवि के पुलिस अफ़सर थे। मेरे अच्छे मित्र भी थे। श्रीराम अरुण के बग़ल में बैठ कर मैं ने थोड़ी देर इधर-उधर की बात की। बात ही बात में उन्हें बताया कि आप को मालूम है कि इस समय इस राजभवन में आप का एक वांटेड अपराधी भी उपस्थित है ? श्रीराम अरुण तुरंत सतर्क हुए। उन का हाथ बड़ी तेज़ी से कमर में बंधी अपनी रिवाल्वर पर चला गया। हड़बड़ा कर बोले , ‘ कहां है ? ‘

‘ वह देखिए ! ‘ शपथ लेने वाले मंत्रियों के लिए निर्धारित स्थान पर बैठे हुए राजा भइया को इंगित करते हुए मैं ने कहा। श्रीराम अरुण का हाथ अपनी रिवाल्वर पर से तुरंत हट गया। वह ढीले पड़ गए। मैं ने पूछा , ‘ क्यों क्या हुआ ? ‘ श्रीराम अरुण फीकी हंसी हंसते हुए बोले , ‘ आप भी क्या मज़ाक करते हैं। ‘ मैं ने उन से कहा कि , ‘ सोचिए अगर यहीं जो किसी हिंदी फिल्मों का कोई नाना पाटेकर जैसा पुलिस अफ़सर होता तो अगर वह जानता कि यहां कोई वांटेड अपराधी उपस्थित है तो वह क्या करता ? ‘ वह मुस्कुरा कर रह गए। थोड़ी देर बाद मैं तत्कालीन प्रमुख सचिव गृह हरीशचंद्र के पास गया। हरीश जी भी बेहद ईमानदार छवि के आई ए एस अफ़सर रहे हैं। मित्र थे। हरीश जी से भी इधर-उधर की बात के बाद उन्हें बताया कि , ‘ यहां आप का एक वांटेड अपराधी बैठा हुआ है। ‘

‘ अरे कहां ? ‘ चौकन्ने होते हुए वह बोले। उन्हें भी मैं ने राजा भइया को दिखाया। वह भी चुप हो गए। कहने लगे , ‘ आप मजाक अच्छा कर लेते हैं। ‘

दिलचस्प यह कि यह सब राजधर्म का पाठ पढ़ाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी की उपस्थिति में हुआ था। शपथ ग्रहण के बाद मैं ने अटल जी से भी यह बात पूछी। अटल जी यह सवाल सुन कर झेंप गए। बोले , ‘ क्या करें जनता-जनार्दन ने जनादेश दे कर भेजा है। ‘

फिर यह सब तब है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसद , विधायक के ख़िलाफ़ आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए अलग कोर्ट बनवा दी है। ताकि इन के मामले की जल्दी सुनवाई हो। और तय हो सके कि यह अपराधी हैं या निर्दोष। लेकिन यह अदालतें भी कैसे और क्या काम कर रही हैं , नतीज़ा सामने है।

बिहार के क़ानून मंत्री कार्तिकेय सिंह के ख़िलाफ़ 2014 से यह अपहरण का मामला चल रहा है। बिहार में जद यू और राजद के नेता आज जिस बेशर्मी से विभिन्न न्यूज़ चैनलों पर कार्तिकेय सिंह का बचाव करते हुए किसिम-किसिम के कुतर्क पेश कर रहे थे , वह भी बर्दाश्त से बाहर था। सिर पर सेक्यूलर होने का ताज लिए सांप्रदायिक शक्तियों से लड़ने के लिए कार्तिकेय सिंह का क़ानून मंत्री बनना कितन ज़रुरी है , यह बताते रहे। बिहार के एक पत्रकार भी कार्तिकेय सिंह को जस्टीफाई करते मिले। मुखौटा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कार्तिकेय सिंह के बारे में कुछ मालूम नहीं था। अब मालूम भी हो गया है पर बिना लालू और तेजस्वी की मर्जी के कार्तिकेय सिंह को मंत्रिमंडल से हटाने की हिम्मत नहीं कर सकते। क्यों कि 2024 में वह अब प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार हैं। नीतीश कुमार को अब प्रधानमंत्री बनना है। ऐसे छोटे-छोटे मामलों में वह क्यों उलझें भला ! बिहार के बाद सामाजिक न्याय लाना है उन्हें अभी। केंद्र में सेक्यूलर सरकार का प्रधानमंत्री बनना है उन्हें। उन के मंत्रिमंडल में अगर 72 प्रतिशत गंभीर अपराधी हैं तो कौन सी नई बात हो गई। बाल यौन के अपराधी भी अगर मंत्री बन गए हैं तो उन्हें प्रणाम कीजिए। ऐतराज नहीं। ऐतराज करना अपराध है।

साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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