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बंगाल में राजनीतिक हिंसा नहीं अपितु हिंदुओं के विरुद्ध खुलेआम जेहाद चल रहा है

"16 अगस्त 1946" को "गज़वा ए हिन्द" की शुरुआत बंगाल से हुई थी।

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Positive India:Ajit Singh:
बंगाल के हिंदुओं पर किये जा रहे वीभत्स और बर्बर आघात ने एक बार फिर साबित कर दिया कि अगर मुसलमानो को जरा सा भी संरक्षण मिल जाय तो वो तुरंत अपना भाईचारे का अलतकिया वाला मुखौटा उतार कर गजनवी और गोरी औलाद बन जाते है,यहां भले ही दोगले हैं लेकिन मौका मिलने पर मजहबी दांत दिखाने मे वो असल को भी मात देने मे कसर नही छोड़ते है…!!

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“16 अगस्त 1946” को “गज़वा ए हिन्द” की शुरुआत बंगाल से हुई थी,, तब आधा हिंदुस्तान ले लिया…बंगाल की ताजा हिंसा कोई संयोग नहीं है…………………2 मई 2021 Direct Action Day के लिए इस बार भी बंगाल को ही चुना गया है…बंगाल में उन हिंदुओं पर भी हमले हो रहे हैं जो मुस्लिम बाहुल्य इलाके में हैं लेकिन समर्थन टी.म.सी. को किया था….इसलिये कि वो भी काफिर ही है और वे लोग मुस्लिम इलाकों से भाग जाएं। मुस्लिम इलाकों से तेजी से कश्मीर की तरह हिंदुओं का पलायन हो रहा है…इसलिये इसे न तो राजनैतिक हिंसा कहिये और न ही बीजेपी या संघ के विरुद्ध हिंसा….अपितु यह हिंदुओं के विरुद्ध खुलेआम जेहाद चल रहा है।इसे सिर्फ भाजपा या संघ कार्यकर्ताओं पर हमला मानकर चलना सत्य से आँखें फेरने के समान है………आज जो बंगाल में हो रहा है उसकी तस्वीरें निश्चित रूप से विभाजन के समय फाइनल एक्शन डे की याद दिलाती हैं,जिन्हें लोगों की रक्षा करनी थी, वो लोग ही इस हिंसा के जिम्मेदार हैं…क्या लगता नही कि जिस युद्ध की आशंका व्यक्त की जा रही थी,वो प्रारम्भ किया जा चुका है…!!!

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याद करिये कि जेहादन ने एक बार अमित शाह को गृहयुद्ध की धमकी दी थी वह धमकी मात्र कोरी धमकी नहीं थी बल्कि उसने तैयारियां भी कर रखी थी…..यूपी वालों को विशेष रूप से समझ लेना चाहिये क्योंकि यही बात कुछ दिन पहले चार साल से किलसते टोंटीचोर ने भी बोल रखी है!

साजिश बहुत गहरी ही नही है बल्कि उन अंतर्राष्ट्रीय शक्तियों द्वारा संचालित भी है…जो विदेशी मोर्चों पर मोदी से कई बार मात खा चुकी हैं…जिनके गजवा और चंगाई का ख्वाब मिट्टी मे मिल रहा है…जिनको देशी दलालों और विदेशी ताकतवर लॉबी का समर्थन है…..कभी सोचा है कि आपके साथ मोदी,संघ और गिने चुने हिंदूवादी संगठनो के अलावा कौन है…..इसीलिये कह रहा हूं पहले कान देखिये फिर कौव्वे के पीछे लट्ठ लेकर दौड़िये…….समय रहते समझिये कि अब एकजुट होकर फ्रंट फुट में खेलने का वक़्त आ गया है…क्योंकि आपको मोदी विरोध मे ब्रेनवाश्ड करने की नई बिसात बिछाई ही नही जा चुकी है….बल्कि उस बिसात मे बहुसंख्यक समाज का एक वर्ग उसमे धीरे धीरे फंसता भी जा रहा है….!
भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब जीतने वाली सत्तारूढ़ पार्टी अपने विपक्षियों पर हिंसक हमले कर कत्लेआम कर रही है…यह नये किस्म का जिहाद है,जिसमें चुनाव में भी प्रतिद्वंदी के सर उठाने पर सर काट दिया जाता है..यह हिंदूवादी सोच को जड़ से मिटाने का प्रयास है…इतना तो सत्य है कि इस रक्तपिपासु प्रजाति से गांधीवादी तरीके से नहीं निपटा जा सकता….वीर शिवाजी महाराज,महाराणा प्रताप,सुभाष बोस,लचित बोरफूकन के वंशज को उठना ही होगा,प्रतिकार करना ही होगा..और कोई विकल्प नही है!!

रही बात मोदी की तो जान लीजिये कि बार बार दैविक शक्तियां आपकी चेतना को जगाने नही आयेंगी!!!!!

“शैले शैले न माणिक्यं, मौक्तिकं न गजे गजे,
साधवो न हि सर्वत्र,चन्दनं न वने वने।”

न ही बार बार मोदी जैसे देशभक्त ही आयेंगे,
निष्काम,नि:स्वार्थी और नि:छल कर्मयोगी प्रधान सेवक को अपना कार्य करने दीजिये..उसको नोचिये नही,उसके लिये समस्या न बनिये!!
देश विरोधी ताकतो के मोदी को सुपर मैन बनाने के बहकावे मे आकर मोदी का आंकलन न कीजिये,उन्हे देशहित का साधक ही बने रहने दीजिये,मोदी को अपना काम करने दीजिये……वैसे भी हमें पिछले 60-65 साल से देश का पराजित और द्रोहियों का महिमा मंडित इतिहास पढाया गया है,हम उसी को सच मान कर स्वयंभू निर्णय ले लेते रहें है,अधूरा और असत्य इतिहास यों ही पढ़कर पांडित्य की धाक जमाने से अब काम नही चलेगा ,परीशीलन कर वास्तविकता की कसौटी पर कसना होगा,जैसे कुछ उदाहरण है…
सिकन्दर द ग्रेट(मेरी निगाह मे असत्य) विश्व विजय करने निकला था ,लिखित इतिहास बताता है कि वो पोरस को हरा चुका था!!!!!
फिर लौट क्यों गया?????
अपने देश क्यों नही पहुंचा??
पोरस के भाले से घायल सिकंदर का विश्व विजय का सपना क्यों कर टूट गया?
पता लगाइए!!!!!!!
अकबर को भी महान बताया गया,
जरा वास्तविकता पता करें और बतायें कि महाराणा प्रताप महान थे या हरम पूजक अकबर!!!!!!
औरंगजेब का महिमा मंडन तो पढें होगे,
लेकिन वीर छत्रपति शिवाजी ने विधर्मियो को दक्षिण मे पांव जमाने से रोक दिया,ये केवल सुना होगा….
इतिहास मे जानबूझकर पुलकेसिन,विक्रमादित्य,चन्द्रगुप्त और समुद्रगुप्त आदि जैसे प्रतापी राजाओं को जगह नही दी गई,क्यों?????
पर्शिया से कम्बोडिया तक विस्तृत सनातन साम्राज्य का शनै: शनै: विखंण्डन मात्र हमारी भावुकता भरी सहिष्णुता और संगठनहीन सोच के कारण हुआ है,
आज भी उसी राह पर हम अग्रसर हैं………बताने का मेरा उद्देश्य मात्र इतना है,जो नस्ले,जो कौम अपने इतिहास से सबक नही लेंती या जो अपने महापुरूषो,ग्रन्थो,साहित्य,श्रुति स्मृति से प्रेरणा और सबक नही लेती है………
वो नस्ले समाप्त होकर नष्ट हो जाती है…इतिहास सदा उनके गुणगान करता है जिन्हे इतिहास बनाना आता है….पुनश्च: संगठित रहिये…संगठित सोच रखिये,मनसा,वाचा और कर्मणा अपने नेतृत्व मे भरोसा रखते हुये,धीरज के साथ जाति,भाषा और प्रांत वाद को त्याग कर एकजुट होकर सनातन राष्ट्रहित के सैनिक के रूप मे योगदान देते रहिये…!

फिलहाल इतना ही बताना चाहता हूं कि आपको पता नही मालूम है कि आप चौतरफा युद्ध के चपेट मे है…एक तरफ से कोरोना जैसे जैविक युद्ध का सामना कर रहे हैं…दूसरी तरफ अपने मजहबी मदारियों के इशारे पर हरे टिड्डे अपने रोहिंग्या और बांग्लादेशी भॉयजानो के बल पर बंगाल की डेमोग्राफी बदलने की कोशिश करके हिंदुत्व के प्रतिकार का आंकलन करके मैदान मे उतर चुके है…..तीसरी तरफ कांग्रेस के नेतृत्व मे सेकुलर,लिबरल,लुटियन,आपी,अर्बन नक्सली बिलौटे और गैरभाजपायी दल भांड मीडिया की प्रेश्याओं के बल पर लगातार मोदी विरोधी माहौल बना कर विश्वास के पुल को तोड़ने की साजिश रचने मे व्यस्त है….और चौथी तरफ चीन और पाकिस्तान मोदी के कमजोर होने के इंतजार मे घात लगा कर बैठे हैं…..और इतने शत्रुओं और आपके बीच चट्टान की तरह मोदी खड़े है…..तो अगर साथ नही दे पा रहें हैं तो कम से कम जो आदमी आपके और धर्म द्रोहियों के बीच खड़ा है,उसको नोचिये मत,उसके भरोसे को तोड़िये मत…एक आदमी सदियों बाद मिला है,उसके नि:छल,नि:स्वार्थ और निष्कपट राष्ट्रप्रेम को गाली मत दीजिये….विश्वास करिये,वो अपने लिये,अपने परिवार के लिये कुछ नही कर रहा है…वो जो कुछ कर रहा है…आपके लिये,आपके धर्म और आपके देश के लिये कर रहा है….देश और धर्म द्रोहियों के लिये मोदी का मौन मोदी के बोलने से कही अधिक घातक और निर्मम होता है…यह कई बार साबित हो भी चुका है….इस बार भी होगा…!!

“हो तिमिर कितना भी गहरा,
हो रोशनी पर लाख पहरा।
सूर्य को उगना पड़ेगा,
फूल को खिलना पड़ेगा।”
-रामधारी सिंह दिनकर

#वन्देमातरम्
#Ajit_Singh
साभार:अजीत सिंह-एफबी(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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