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क्या खान सर को विद्यार्थियों को भड़काने तथा चलती ट्रेन में आग लगवाने का हक है?

-विशाल झा की कलम से-

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Positive India:Vishal Jha:
बहुत सारे मीडिया वालों ने खान सर(Khan Sir) की इंटरव्यू ली। लेकिन कायदे के प्रश्न किसी ने नहीं पूछा।

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केवल खान सर के यहां जितने बच्चे पढ़ कर नौकरी के लिए तैयार होते हैं, क्या उतनी रिक्तियां सरकार में होती हैं? अगर होती भी है तो उनके कोचिंग के अलावे भारत भर के अन्य बच्चे कहां भर्ती होंगे? खान सर अच्छी तरह जानते हैं कि उनके जैसे टीचर जितने प्रतियोगी को तैयार कर बाजार में छोड़ देते हैं सरकार में उतनी रिक्तियां कभी नहीं आएंगी।

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क्योंकि खान सर अपने बिजनेस के अलावे शासन और राजनीति को भी नौकरियों को लेकर सलाह देते हैं, तभी मैं उनसे पूछना चाहता हूं, पूरे उत्तर भारत भर में सरकारी नौकरी के लिए तैयार इतने प्रतियोगियों का क्या समाधान है? अगर खान सर केवल अपने व्यवसाय तक सीमित रहते, तब यह प्रश्न उनसे नहीं पूछता।

रेलवे की जिस वैकेंसी के लिए विवाद खड़ा हुआ है उसकी रिक्तियां महज 35 हजार है। शेष बच्चों के लिए खान सर के पास क्या सलाह है? अगर सलाह नहीं है तो इतने बच्चों को खान सर ने भड़काने का कोई हक नहीं। चलती ट्रेन में आग लगवाने का कोई हक नहीं। बच्चों का भविष्य बर्बाद करने का कोई हक नहीं।

मैं तो पहले से ही खान सर पर विश्वास नहीं कर रहा था, जिन्होंने हमास जैसे आतंकवादी संगठन को बड़े सॉफ्ट अंदाज से सपोर्ट किया था। तभी मैं उनका एजेंडा पहचान कर विरोध किया था। इजराइल के सामने तो अच्छे-अच्छे मोमिनों की तहजीब निखर आती है। फैजल खान कौन-सा नायाब चीज हैं। खान सर बहुत सॉफ्ट मोमिन हैं। इसलिए ऐसे लोग बहुत ही खतरनाक होते हैं भारत के लिए।

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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