क्या यह तिलमिलाहट बिलबिलाहट आका पाकिस्तान का माल पकड़ लिए जाने के कारण है?
-सतीश चन्द्र मिश्रा की कलम से-
Positive India:Satish Chandra Mishra:
यूपीए के शासनकाल में सरकारी संरक्षण में हुई
75 हजार किलो सोने की तस्करी को यह देश भूला नहीं है।
भारतीय हितों के खिलाफ कांग्रेस और उसके चाकर चाटुकार लुटियन गैंग का यह पहला हमला और हंगामा नहीं है। इस कांग्रेसी हमले और हंगामे के अर्थ बहुत गम्भीर हैं।
गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर 9000 करोड़ मूल्य की 3000 किलो हेरोइन को देश की जांच एजेंसियों ने 16 सितंबर को पकड़ा है। देश के इतिहास में हेरोइन की इतनी बड़ी खेप पहले कभी नहीं पकड़ी गयी। लेकिन इस सजगता सतर्कता सफलता के लिए जांच एजेंसियों की सराहना करने के बजाए कांग्रेस और उसके चाकर चाटुकार लुटियन गैंग द्वारा जांच एजेंसियों पर अत्यन्त अराजक अश्लील फूहड़ आरोपों की बौछार की जा रही है।
इस बौछार की दिशा देश के प्रधानमंत्री की तरफ मोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं। अतः प्रथम दृष्टया यह संदेह उत्पन्न होना भी स्वाभाविक है कि यह बौछार क्या पाकिस्तान का माल पकड़ लिए जाने की तिलमिलाहट बिलबिलाहट का प्रतिफल है.? क्योंकि कांग्रेस और उसके चाकर चाटुकार लुटियन गैंग का यह पहला ऐसा कारनामा नहीं है। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। जनवरी 2015 में गोला बारूद बंदूकों से भरी एक आतंकी पाकिस्तानी नौका जब भारत की समुद्री सीमा में घुसी थी तो भारतीय तटरक्षक नौसेना के एक दल ने तत्काल उस पर भारी गोलीबारी कर के उस पर सवार आतंकियों समेत उस आतंकी नौका की कबर समुद्र के सीने में ही बना दी थी। उस समय भी भारतीय तटरक्षक नौसेना के उस दल की सजगता सतर्कता और साहस की सराहना करने के बजाए कांग्रेस और उसके चाकर चाटुकार लुटियन पत्रकार बुरी तरह आगबबूला हो गए थे।
भारतीय तटरक्षक नौसेना को झूठा तथा उस आतंकी नौका पर सवार आतंकियों को निर्दोष निरीह नागरिक बताकर भारत सरकार और उसके प्रधानमंत्री को जमकर कोसने का काम उस समय पूरी दुनिया में केवल पाकिस्तान ने किया था। भारत में उस “भारत-विरोधी” पाकिस्तानी सुर में सुर मिलाते हुए कांग्रेस और उसके चाकर चाटुकार लुटियन गैंग ने भारत सरकार और उसके प्रधानमंत्री को जमकर गरियाने कोसने का काम करते हुए उस पाकिस्तानी आतंकी नौका और उसपर सवार आतंकियों को क्लीन चिट देकर उनके गम में जमकर आंसूं बहाये थे। सबसे हास्यास्पद और शर्मनाक तथ्य यह है कि अपनी तात्कालिक प्रतिक्रिया में उस आतंकी नौका पर सवार आतंकियों को निर्दोष निरीह नागरिक बताने वाला पाकिस्तान बाद में यह स्वीकारने को मजबूर हो गया था कि उस नौका पर सवार लोग निर्दोष निरीह नागरिक नहीं सम्भवतः ड्रग्स स्मगलर थे, लेकिन आतंकी नहीं। अतः सवाल यह है कि कांग्रेस और उसका चाकर चाटुकार लुटियन गैंग किस आधार पर, किन तथ्यों साक्ष्यों के बल पर उन पाकिस्तानियों को निरीह निर्दोष नागरिक बता रहे थे जिन्हें ड्रग्स स्मगलर मानने के लिए खुद पाकिस्तान मजबूर हो गया था.?
उल्लेख कर दूं कि कांग्रेसी प्रवक्ता सुरजेवाला मुंद्रा पोर्ट पर पकड़ी गयी हेरोइन को तस्करी को दिये जा रहे राजनीतिक संरक्षण का उदाहरण बता रहा था। सुरजेवाला शायद भूल गया कि राजनीतिक संरक्षण में होने वाली तस्करी का “माल” जांच एजेंसियों द्वारा पकड़ा नहीं जाता,बल्कि सही सलामत तरीके से तस्कर के अड्डे तक बेरोकटोक पहुंच जाता है। यूपीए सरकार के शासनकाल में 75 हजार किलो सोने की ऐसी तस्करी होते हुए यह देश देख चुका है। लेकिन सुरजेवाला शायद भूल गया है अतः उसे याद दिलाना जरूरी है कि 16 फरवरी 2018 को यह खबर देश के अखबारों में विस्तार से छपी थी कि मनोरंजन एस रॉय नाम के व्यक्ति द्वारा RTI के तहत मुम्बई कस्टम्स से मांगी गई एक जानकारी के जवाब में मुम्बई कस्टम्स द्वारा उन्हें आधिकारिक लिखित रूप से बताया गया था कि वर्ष 2012 में सोना और हीरा बेंचने वाली लगभग 3 दर्जन कम्पनियों ने बिना कोई कस्टम या इम्पोर्ट ड्यूटी चुकाए हुए 75 हज़ार 765 किलो सोने (लगभग 22हज़ार 717 करोड़ रू मूल्य) का आयात किया था। इन कम्पनियों ने किसी प्रकार का कोई टैक्स नहीं चुकाया था। ध्यान रहे कि 2012 में सोने पर इम्पोर्ट ड्यूटी 8% थी। अतः देश को कम से कम लगभग 1800 करोड़ रू का चूना लगा था। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती है। क्योंकि उसी RTI से यह भी जानकारी मिली थी कि सोना आयात करनेवाली यह कम्पनियां रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज और महाराष्ट्र सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट में रजिस्टर्ड ही नहीं थीं।
अतः बिना रजिस्टर्ड हुए यह सोना बिना कोई टैक्स चुकाए आयात करनेवाली इन कम्पनियों ने निश्चित रूप से यह सोना बिना कोई सेल्स टैक्स या वैट चुकाए हुए ही ब्लैक मार्केट में बेंचा होगा। ब्लैक मार्केट में नम्बर दो में हुई इस बिक्री से हुई आय भी बिना कोई इनकम टैक्स चुकाए हुए ही कालेधन के रूप में उन कम्पनियों के पास ही रही।
1800 करोड़ की इम्पोर्ट ड्यूटी के साथ ही साथ लगभग 22 हज़ार 724 करोड़ के सोने की बिक्री पर सरकार को नहीं मिले वैट और इनकम टैक्स की राशि यदि जोड़ ली जाए तो मामला हज़ारों करोड़ की टैक्स चोरी का नहीं बल्कि हज़ारों करोड़ की टैक्स लूट का हो जाएगा। कयोंकि यह टैक्स लूट चोरी छुपे नहीं हुई थी। जब मुम्बई कस्टम्स के रिकॉर्ड में यह जानकारी है तो इसका सीधा अर्थ यह हुआ कि सरकार की जानकारी में ही देश को चूना लगाने का यह पूरा खेल हुआ था।
क्योंकि उसी RTI में पूछे गए इस सवाल कि उन तीन दर्जन कम्पनियों को बिना कोई ड्यूटी चुकाए सोना क्यों ले जाने दिया गया, किस के आदेश पर ले जाने दिया गया.? का कोई जवाब देने के बजाय मुम्बई कस्टम्स ने चुप्पी साधे रखी है। लेकिन यह जाहिर सी बात है कि 22 हज़ार 724 करोड़ मूल्य का 75हज़ार 765 किलो सोना बिना किसी ड्यूटी के ले जाने देने का आदेश देने की हैसियत या हिम्मत किसी कस्टम अधिकारी की नहीं हो सकती।
सही बात तो यह है कि किसी प्रकार की कोई ड्यूटी चुकाए बिना किया गया 75 हज़ार 765 किलो सोने का उपरोक्त आयात सरेआम की गयी ऐसी स्वर्ण तस्करी थी जिसे सरकारी संरक्षण में अंजाम दिया गया था।
मणि शंकर अय्यर, सलमान खुर्शीद, दिग्विजय सिंह और अब नवजोत सिंह सिद्धू तथा हरीश रावत द्वारा की जा रही पाकिस्तान परस्ती/भक्ति के शर्मनाक साक्ष्यों के कारण यह संदेह स्वाभाविक है कि क्या यह तिलमिलाहट बिलबिलाहट आका पाकिस्तान का माल पकड़ लिए जाने के कारण है.?
साभार:सतीश चंद्र मिश्रा-(ये लेखक के अपने विचार है)