Positive India:Vishal Jha:
सियासत के चाणक्य? ये जरूरी नहीं है कि शरद पवार को सियासत का चाणक्य कहने से नकार दिया जाए। लेकिन महाराष्ट्र के इस सियासी भूचाल से शरद पवार के लिए यह तमगा छिन गया, इतना तो सत्य है। चाणक्य एक ही हैं देश में, अमित शाह। धारण के लिए थोड़ा सामर्थ्य भी तो होना चाहिए। जो सियासत के एक मजबूत मानक को स्थापित कर सके।
भाजपा ने सियासत का इतना कठोर मानक स्थापित किया है जो छोटे-छोटे मसौदे पर बनी हुई अघारी और बंधे हुए गांठ स्वत: खुल जाते हैं। जब मोदी जैसा कोई ऊंचा सियासी कद भारत की राजनीति में नहीं था, लुटियंस मीडिया वालों ने बुलेटिन भर भर के तमगे बांटे। कम से कम चाणक्य के छवि का तो अपमान अवश्य कर दिया था। बिहार में सियासत की प्रयोगशाला अभी भी बरकरार है, किंतु वह प्रयोगशाला भी लोकसभा में कहीं दिखाई नहीं देती।
महा विकास आघाडी को तोड़ने के लिए मोदी और अमित शाह ने क्या किया होगा? लेकिन वंशवाद के चुंगल में फंस कर शरद पवार ने इस्तीफे का ऐलान किया था। आज अजीत पवार एनसीपी से आजाद हो गए, बिना किसी बाहरी एफर्ट के। यही ऊंची चाणक्य राजनीति का नतीजा है, जिसके सामने छोटी-छोटी सियासी मेकनिज्म भरभरा कर गिर जाती है, स्वत: ही।
पूरब से ममता के सांसद ने भी टीएमसी के अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया है। बिहार में नीतीश कुमार राजनीति के गले में हड्डी बन कर बैठे हैं। उत्तर प्रदेश का कहीं कोई प्रश्न ही नहीं है। मध्यप्रदेश में सिंधिया कार्ड तैयार है। राजस्थान स्वत: उतावला है। गुजरात की बात करता कौन है! महाराष्ट्र आज सामने आ गया। उत्तर भारत की ये तस्वीर है। दक्षिण भारत तो बोनस है।
साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार है)