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क्या मुस्लिम वोट बटोरने की प्रतियोगिता का नतीज़ा है कश्मीर समस्या ?

-दयानंद पांडेय की कलम से-

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Former PM Manmohan Singh welcomes Yasin Malik.
Positive India:Dayanand Pandey:
कोई माने या न माने पर पेड़ से टूटे हुए पत्तों की तरह मुस्लिम वोट बटोरने की प्रतियोगिता का नतीज़ा है कश्मीर समस्या। यहां चार फ़ोटो हैं अलगाववादी नेता यासीन मलिक के। एक , भाजपा के नरेंद्र मोदी राज का। दूसरा , कांग्रेस के मनमोहन राज का। तीसरा , कश्मीर के पूर्व मुख्य मंत्री फ़ारुख़ अब्दुल्ला के राज का। चौथा , सेक्यूलर चैंपियन और लेखिका अरुंधती राय के साथ। अरुंधती को तो जैसे स्वर्ग मिल गया है , यासीन मलिक का हाथ पकड़ कर।
The most happy moment of Arundhati Roy with Yasin Malik.
फ़िलहाल यासीन मलिक जेल में है। आज ही के दिन यानी 22 मार्च , 2019 को उस के संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट पर केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था। बहुत देर से उठाया गया ज़रूरी क़दम था। इस पर फ़िलहाल 37 एफ़ आई आर हैं । यासीन मलिक वैसे भी पाकिस्तान का दामाद है। भारी संख्या में कश्मीरी पंडितों का हत्यारा है यह । कश्मीर से कश्मीरी पंडितों को भगाने का अगुआ था यह । जाने कितने कश्मीरी पंडितों का हत्यारा है यह। गिरफ़्तार होने तक पत्थरबाजों को पैसे बांटता था। वैसे उम्मीद के मुताबिक़ महबूबा मुफ्ती खुल कर यासीन मलिक के पक्ष में खड़ी हैं । मुसलसल खड़ी हैं। मुस्लिम वोट के सारे तलबगार खड़े हैं , यासीन मलिक के साथ। कौम के नाम पैग़ाम वैसे ही तो नहीं जारी होता रहता है।
साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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