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क्या वाकई में तिरंगा उतार कर भगवा लहराया गया ?

-विशाल झा की कलम से-

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एक बात यह कहा गया कि तिरंगा उतारकर भगवा लहराया गया। पहला तो यह कि आज के मोबाइल रिकॉर्डिंग के जमाने में तिरंगा उतारा जाए और उसकी फुटेज ना हो, ऐसा हो नहीं सकता। क्या किसी ने तिरंगा उतारते देखा? दरअसल जहां भगवा लहराया गया वहां स्थान खाली था। कोई तिरंगा नहीं उतारा गया।

वैसे भी हम ने भगवा उतार कर ही उसी जगह तिरंगा को स्थान दिया था। और स्वीकार लिया कि तिरंगा सबसे ऊंचा रहेगा। हमने कभी संविधान को भगवा से नीचे तो क्या, बराबर भी रखने के लिए संघर्ष नहीं किया। आज जिस प्रकार से अदालत ने कहा संविधान भागवत गीता से ऊपर है, क्या वही अदालत किसी इस्लामिक कंट्री तो छोड़िए, इसी भारत में कह सकता है कि संविधान कुरान से ऊपर?

हमने बड़ी इज्जत की है साहब, देश, संविधान और तिरंगा की। खुशी-खुशी हमने स्वीकार लिया इसे। कभी हमने मन छोटा नहीं किया, हजारों साल का हिंदू राष्ट्र भारत होते हुए भी। है दुनिया में कोई ऐसा ईसाइयत और इस्लामिक कंट्री जो धर्मनिरपेक्षता का चोला ओढ़ने की हिम्मत दिखा सके?

बावजूद इसके अगर आप हमें पर्सनल लॉ से डराएंगे तो हम अपना केसरिया भी बुलंद करना जानते हैं। भारत ना अब मध्यकालीन भारत है, ना ही कांग्रेसकालीन भारत है। आज अगर हम संविधान को मानेंगे, तब शर्त यही है कि जब आप भी मानेंगे तब।

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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