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क्या द कश्मीर फ़ाइल को वल्गर बताने वाले नदाव लैपीड की सिर्फ भर्त्सना पर्याप्त है?

-राजकमल गोस्वामी की कलम से-

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Positive India:Rajkamal Goswami:
इस्राइल उन कुछ देशों में से है जहाँ यहूदियों के विरूद्ध नाज़ी जर्मनी द्वारा किए गए अत्याचारों से इन्कार करना ( Holocaust Denial) एक दंडनीय अपराध है । यानी कोई अगर यह कह भर दे कि यहूदियों के विरुध्द अत्याचार पर बनी कोई फ़िल्म वल्गर है या बकवास है तो वह जेल में ठूँस दिया जाएगा ।

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उसी इस्राइल के फ़िल्मकार नदाव लैपीड ने गोआ फ़िल्म फ़ेस्टिवल के समापन समारोह में कह दिया कि द कश्मीर फ़ाइल एक वल्गर और प्रोपैगैंडा फ़िल्म है जिसके इस प्रतिष्ठित समारोह में शामिल किए जाने से वे और उनके साथी आहत हुए हैं ।

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इस्राइल के राजदूत ने नदाव की भर्त्सना की है और इसे मेज़बान देश यानी भारत का अपमान बताया है । किंतु यह भर्त्सना पर्याप्त नहीं है । नदाव का वक्तव्य कश्मीरी पंडितों की नस्लक़ुशी का मखौल उड़ाता दिखता है और प्रकारांतर से उन आतंकियों का समर्थन करता हैं जिन्होंने इस नरसंहार को अंजाम दिया । यह उन निर्वासित कश्मीरी पंडितों के मुँह पर तमाचा भी है जो दशकों से अपने घरों को छोड़कर बंजारा होने पर मजबूर हो गए हैं ।

साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार है)

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