क्या प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ उनके घर में ही साज़िश हो रही है?
-सतीश चन्द्र मिश्रा की कलम से-
Positive India:Satish Chandra Mishra:
कल फ्रांस की कट्टर कम्युनिस्ट, प्रचंड मोदी विरोधी ऑनलाइन मैगज़ीन मीडियापार्ट ने लिख दिया कि कांग्रेसी शासनकाल में राफेल जहाज सौदा कराने के लिए राफेल की कंपनी दसां ने 2007 से 2012 के बीच सुषेन गुप्ता नाम के दलाल को 65 से 85 करोड़ रूपये की दलाली दी थी। कल उस मैगजीन की रिपोर्ट सामने आते ही भाजपाई कांग्रेसी प्रवक्ता एकदूसरे पर टूट पड़े। मेरे लिए उस रिपोर्ट की अहमियत टॉयलेट पेपर से अधिक नहीं है। (अतीत में इस मैगजीन के विरुद्ध विस्तार से लिखता भी रहा हूं) लेकिन मीडियापार्ट की रिपोर्ट को लेकर आंख बंद कर के उड़ गए दिल्ली में बैठे भाजपाई मीडिया विभाग के वीवीआईपी मठाधीशों को पता नहीं क्यों यह याद ही नहीं रहा कि ये फ्रांस की वही कट्टर कम्युनिस्ट, घोर मोदीविरोधी ऑनलाइन मैगज़ीन मीडियापार्ट है जो पहले दिन से ही राफेल डील में दलाली खाने का आरोप मोदी सरकार पर लगा रही है। राफेल डील को रद्द कराने के लिए लगातार वह झूठी रिपोर्टें छाप रही है, जिनका कोई सबूत वो आजतक नहीं दे सकी है। इसबार उसने अपनी रणनीति बदली और संकेतों में कांग्रेस के खिलाफ रिपोर्ट छापी, उस दलाल सुषेन गुप्ता के हवाले से छापी जो 2 साल पहले ही भारतीय जांच एजेंसियों के शिकंजे में आ चुका है। मीडिया पार्ट मैगजीन का यह बहुत शानदार ट्रैप था जिसमें दिल्ली में बैठे भाजपाई मीडिया विभाग के वीवीआईपी मठाधीश मुंह के बल जाकर गिर पड़े। उन्होंने बिना सोचे समझे हुए कांग्रेस के खिलाफ भाजपाई प्रवक्ताओं की फौज मैदान में उतार दी। भाजपाई प्रवक्ता भी सुध बुध खोकर उस मैगजीन की रिपोर्ट हवा में हिला हिला कर कांग्रेस के खिलाफ गरजने बरसने लगे। ऐसा करते समय वह भूल गए कि यही मीडियापार्ट मैगजीन देश की मोदी सरकार के खिलाफ लगातार रिपोर्टें छाप रही है, उसकी इस रिपोर्ट को मान्यता देने, सच मानने का अर्थ उसकी पिछली सभी रिपोर्टों पर भी सत्यता की मुहर लगाना होगा। इतनी सामान्य सी बात को नहीं समझ पाने, मीडिया पार्ट की इतनी घटिया रणनीति को नहीं भांप पाने वाले दिल्ली में बैठे भाजपाई मीडिया विभाग के वीवीआईपी मठाधीशों की बुद्धि पर तरस खाया जाए या धन्यवाद दिया जाए.? या प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ उनके घर में ही हो रही साज़िश माना जाए.? यह आप स्वयं तय करिए।
देश के प्रधानमंत्री और देश की सरकार, यहां तक कि पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी जी को आज इतना अपमानित करवाने के बावजूद भाजपाई मीडिया विभाग के वीवीआईपी मठाधीश निश्चिंत होंगे क्योंकि वो जानते हैं कि उनके पास नरेन्द्र मोदी नाम का विक्रमादित्य है जिसके कंधे पर वेताल की तरह लटक के वो जब तक चाहें, जितनी चाहें मौज ले सकते हैं।
मैं यह पोस्ट लिखता नहीं। कल से ही यह तमाशा चुपचाप देख रहा था। लेकिन आज शाम कांग्रेस का सड़कछाप प्रवक्ता पवन खेड़ा मीडियापार्ट की पुरानी रिपोर्टों को न्यूजचैनलों पर हिला हिलाकर जब श्रद्धेय स्व अटल बिहारी वाजपेयी जी तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चिल्ला चिल्लाकर खुलकर चोर और चोरों का सरदार बताने लगा। जवाब में संबित पात्रा गौरव भाटिया सरीखे भाजपाई प्रवक्ताओं की हें हें और उनके चेहरे पर हवाइयां उड़ते देखीं तो खुद को रोक नहीं सका। मुझे लगा कि दिल्ली में बैठे भाजपाई मीडिया विभाग के वीवीआईपी मठाधीशों की दीनहीन दरिद्र रणनीतिक सोच समझ पर लिखना आवश्यक है।
रही बात मीडियापार्ट की पुरानी रिपोर्टों तथा उनको लेकर वनमानुष की तरह उछल कूद रहे कांग्रेसी प्रवक्ताओं की तो, उनकी बातों को मैं अपनी सिगरेट के धुएं से ज्यादा वजनदार और महत्वपूर्ण नहीं समझता। याद रहे कि इस देश का सुप्रीमकोर्ट एक नहीं दो दो बार राफेल डील की जांच कर के क्लीनचिट दे चुका है। भाजपाई प्रवक्ताओं को भले ही याद ना हो लेकिन मुझे याद है वह एक छोटा सा लेकिन बहुत महत्वपूर्ण घटनाक्रम जिसने दूध का दूध, पानी का पानी कर दिया था। देश को बहुत साफ शब्दों में बता दिया था कि भारतीय सेना के हथियारों की खरीद में दलाली का देशद्रोही धंधा कौन करता और कराता था। भारतीय सेना के हथियारों की खरीद में दलाली के देशद्रोही धंधे का मास्टरमाइंड कौन है.?
दूध का दूध, पानी का पानी कर देने वाले उस छोटे से लेकिन बहुत महत्वपूर्ण घटनाक्रम का विस्तार से उल्लेख करती पोस्ट कल।
साभार:सतीश चंद्र मिश्रा-(ये लेखक के अपने विचार है)