ईरान का इसराइल पर हमले का दुस्साहस का वही हाल होगा जो सद्दाम हुसैन के इराक का हुआ था
-राजकमल गोस्वामी की कलम से-
Positive India: Rajkamal Goswami:
अगर ईरान ऐसा दुस्साहस करता है कि वह इज़रायल पर हमला करे तो वह उसी गति को प्राप्त हो जायेगा जिस गति को सद्दाम हुसैन काल में ईराक़ प्राप्त हुआ था ।
दो साल युद्ध होने को आ रहे हैं और हाल यह है नये आयुधों के सहारे यूक्रेन ने रूस की मीलों ज़मीन पर घुस कर क़ब्ज़ा कर लिया है । स्वयं युद्ध में बुरी तरह उलझा हुआ रूस ईरान की कोई प्रभावी मदद नहीं कर पायेगा । इज़रायल और अमेरिका जब ईरान में घुस कर हमला करेंगे तो ईरान की सारी अर्थव्यवस्था चौपट हो जायेगी । अपने पाले हुए सैन्य समूहों हमास हूथी और हिज़्बुल्ला की भी किसी मदद के लायक वह नहीं रह जायेगा नतीज़ा उसके द्वारा पोषित यह ग्रुप भी बिखर जायेंगे ।
इज़रायल यूँ तो अपने त्रिस्तरीय आयरन डोम से ईरानी मिसाइलों को जॉर्डन में ही मार गिरायेगा और अगर कुछ मिसाइलें निशाने पर पहुँच भी गईं तो इज़रायल के पास अपनी जनता के लिये ऐसे बंकर हैं जो परमाणु बम से भी उसकी रक्षा कर सकते हैं । लेकिन ईरान की सारी ऑयल फील्ड, परमाणु प्रतिष्ठान और औद्योगिक संयत्र सब नष्ट हो जायेंगे ।
ईरान की बार बार आक्रमण की चेतावनियों को सुन कर परशुराम लक्ष्मण संवाद का यह दोहा याद आता है,
सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु
विद्यमान रण पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु
शत्रु को रणभूमि में सामने विद्यमान देख कर जो शूरवीर होते हैं वह आक्रमण करते बैं जबकि कायर लोग अपने प्रताप का बखान करते हैं
साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार हैं)