स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत आत्मनिर्भर भारत का एक शानदार उदाहरण
स्वदेशी विमानवाहक पोत का निर्माण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा परिकल्पित 'आत्मनिर्भर भारत' का जीता जागता उदाहरण।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 25 जून, 2021 को कोच्चि में मेसर्स कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित प्रथम स्वदेशी विमानवाहक पोत (आईएसी) आईएनएस विक्रांत के निर्माण की प्रगति की समीक्षा की। राजनाथ सिंह के साथ नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ, दक्षिणी नौसेना कमान वाइस एडमिरल ए के चावला भी थे। रक्षा मंत्री ने निर्माण स्थल का दौरा किया और उनको नवंबर 2020 के दौरान आईएनएस विक्रांत द्वारा पूरा किए गए सफल बेसिन ट्रायल्स के बारे में जानकारी दी गई। तब से कई अन्य नौवहन, संचार और परिचालन प्रणालियों के एकीकरण पर हासिल की गई प्रगति के बारे में भी उन्हें बताया गया, क्योंकि इससे ही स्वदेशी विमानवाहक पोत के प्रथम कांट्रेक्टर सी ट्रायल्स (सीएसटी) की तैयारी होती है जिनका आगामी महीनों में होना अपेक्षित है।
स्वदेशी विमानवाहक पोत को 2022 की पहली छमाही में आईएनएस विक्रांत के रूप में नौसेना में कमीशन किया जाएगा, जो समुद्र में सबसे शक्तिशाली परिसंपत्ति होगी। आईएनएस विक्रांत जहाज मिग-29के लड़ाकू विमान, कामोव-31 एयर अर्ली वार्निंग हेलीकॉप्टरों का संचालन करेगा, जल्द ही एमएच-60आर बहु-भूमिका हेलीकाप्टर और स्वदेश निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टरों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। यह लंबी दूरी पर वायु शक्ति को प्रोजेक्ट करने की क्षमता के साथ एक अतुलनीय सैन्य उपकरण होगा जिसमें वायु निषेध, एन्टी सरफेस वारफेयर, आक्रामक और रक्षात्मक काउंटर-एयर, एयरबोर्न एंटी-सबमरीन वारफेयर एवं एयरबोर्न अर्ली वार्निंग शामिल हैं।
यात्रा के दौरान रक्षा मंत्री के लिए भारतीय नौसेना के विभिन्न जारी नवाचारों, स्वदेशीकरण और सहयोगों को प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। प्रमुख प्रदर्शनों में ऑक्सीजन रीसाइक्लिंग सिस्टम (ओआरएस) शामिल था, जो वर्तमान में श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी में नैदानिक परीक्षणों के तहत है, वर्तमान में पीएम केयर अस्पतालों में इस्तेमाल किए जा रहे नवरक्षक पीपीई और मास्क; रिमोट पेशेंट मॉनिटरिंग सिस्टम और ऐसे कई अन्य नवाचार जिन्होंने किफायती, प्रभावी और उपयोगकर्ता के अनुकूल चिकित्सा समाधान प्रदान किए। रक्षा मंत्री को सिविल एजेंसियों को दी जाने वाली सहायता जैसे अस्पतालों के अग्नि सुरक्षा ऑडिट परीक्षा और पीएसए ऑक्सीजन संयंत्रों पर विशेष प्रशिक्षण के अलावा समुद्र सेतु II और ऑक्सीजन एक्सप्रेस ऑपेरशन के बारे में भी अवगत कराया गया। रक्षा मंत्री ने नेवी चिल्ड्रन स्कूल कोच्चि के छात्र 10 वर्षीय वीर कश्यप से भी बातचीत की, जिन्होंने बड़े पैमाने पर जनता के बीच महामारी के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए एक अभिनव बोर्ड गेम ‘कोरोना युग’ विकसित करने के लिए प्रधानमंत्री बाल पुरस्कार 2021 जीता था।
रक्षा मंत्री को 1971 के युद्ध की जीत के उपलक्ष्य में सशस्त्र बलों द्वारा मनाए जा रहे ‘स्वर्णिम विजय वर्ष’ और भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के लिए भारतीय नौसेना द्वारा आयोजित गतिविधियों के बारे में भी बताया गया।
राजनाथ सिंह ने दक्षिणी नौसेना कमान के तहत कुछ प्रशिक्षण प्रतिष्ठानों का भी दौरा किया और कोविड-19 महामारी के बीच भी न केवल भारतीय नौसेना के अधिकारियों और नाविकों को बल्कि मित्र विदेशी नौसेनाओं को भी लगातार पेशेवर प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए भारतीय नौसेना के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने पारंपरिक रूप से ‘बाराखाना’ कहे जाने वाले दोपहर के भोजन पर कोच्चि क्षेत्र के अधिकारियों और नाविकों के साथ बातचीत की।
रक्षा मंत्री ने स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के निर्माण की प्रगति पर संतोष व्यक्त करते हुए इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा परिकल्पित ‘आत्मनिर्भर भारत’ का जीता जागता उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत डिजाइन से लेकर निर्माण में इस्तेमाल होने वाले स्टील तक और प्रमुख हथियारों एवं सेंसरों तक लगभग 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री से बना है। उन्होंने रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत प्रोजेक्ट 75-I के आरएफपी के लिए रक्षा अधिग्रहण परिषद द्वारा हाल ही में दी गई मंजूरी को याद किया जो आला विनिर्माण प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास को और बढ़ावा देगा।
राजनाथ सिंह ने विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत की युद्धक क्षमता, पहुंच और बहुमुखी प्रतिभा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इससे देश की रक्षा में अभूतपूर्व क्षमताएं बढ़ जाएंगी और समुद्री क्षेत्र में भारत के हितों को सुरक्षित करने में मदद मिलेगी। कोविड-19 के बावजूद स्वदेशी विमानवाहक पोत (आईएसी) के निर्माण पर महत्वपूर्ण प्रगति की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि आईएसी का कमीशन होना भारत की आजादी के 75 साल के लिए अनुकूल सम्मान होगा।
रक्षा मंत्री ने एक मजबूत भारतीय नौसेना के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए कहा कि “आईएसी और कारवार में प्रोजेक्ट सीबर्ड, जो एशिया का सबसे बड़ा नौसैनिक अड्डा होगा, हमारे अटूट फोकस का उदाहरण है।” उन्होंने स्वदेशीकरण पर जोर देते हुए भारतीय नौसेना के आधुनिकीकरण के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे उपायों को सूचीबद्ध किया, जिससे नौसेना की सैन्य अभियान संबंधी पहुंच और कौशल में वृद्धि होगी। उन्होंने नौसेना को उनकी सैन्य तैयारियों को मजबूत करने के लिए हर संभव मदद का आश्वासन देते हुए कहा कि शांति, सुरक्षा और समृद्धि के लिए एक मजबूत नौसैनिक बल महत्वपूर्ण है।
गलवान घाटी की घटना पर राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय नौसेना की सक्रिय अग्रिम तैनाती से संकेत मिलता है कि देश शांति चाहता है लेकिन साथ ही किसी भी स्थिति के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, “भारतीय नौसेना किसी भी चुनौती से निपटने और मुकाबला करने के लिए तैयार है।” रक्षा मंत्री ने सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण और क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत के व्यापक लक्ष्य को दोहराया।
रक्षा मंत्री ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में योगदान के लिए ऑपरेशन समुद्र सेतु-I के दौरान युद्धपोतों पर वायरस के फैलने का खतरा होने के बावजूद विदेशों से भारतीय नागरिकों को वापस लाने और ऑपरेशन समुद्र सेतु-II के दौरान विदेशों से तरल चिकित्सा ऑक्सीजन में लाने तक भारतीय नौसेना की सराहना की। उन्होंने चक्रवात तौकते और चक्रवात यास के दौरान नौसेना द्वारा खोज और बचाव (एसएआर) के प्रयासों की भी सराहना की।
24 जून, 2021 को राजनाथ सिंह ने कारवार नौसैनिक अड्डे का दौरा किया और दक्षिणी नौसेना कमान की अपनी दो दिवसीय यात्रा के हिस्से के रूप में ‘परियोजना सीबर्ड’ के तहत चल रहे बुनियादी ढांचे के विकास की प्रगति की समीक्षा की।