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कोरोना से लड़ने के लिए भारती संस्कृति कारगर सिद्ध हो रही है

हमारे संस्कृति की मजबूती के सामने आज पूरा विश्व नतमस्तक है।

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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
कोरोना से लड़ने के लिए जो बाते बताई जा रही , उस पर अगर ध्यान दे तो यह बात तय हो जाती है कि हमारी संस्कृति कितनी सदृढ है और थी । पर हमारी गुलामी ने, पहले अंग्रेजो की, और उसके पहले मुगलो की, जिसके कारण हमारे इस संस्कृति का बहुत नुकसान हुआ वह भी अपने को आधुनिक बनाने के चक्कर मे; अपने ही धर्म और संस्कृति का जाने अनजाने मे मजाक उड़ाते रहे हैं ।

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पर आज हमारे संस्कृति की मजबूती के सामने आज पूरा विश्व नतमस्तक है । जब से कोरोना ने अपने पैर पसारे, तो जो हाथ मिलाकर अभिवादन किया जाता था, आज नमस्ते में तब्दील हो गया । आज अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप से लेकर इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू नमस्ते के मुरीद है । पहले ही यह बात हमारे पूर्वजो ने वैज्ञानिकता के तौर पर अमल मे लाई थी ।

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चलो, अब दूसरी बातो पर आ जाए। आज भी ग्रामीण क्षेत्रो मे जब कोई मेहमान आता है, तो घर मे घुसने के पहले एक लोटा पानी रख दिया जाता है । इसका मतलब साफ है कि बाहर से आने पर, जो भी धूल कीटाणु आपके साथ है, उसे पानी से पैर, हाथ और चेहरे को भी साफ कर लेवे, जिससे घर बिल्कुल सुरक्षित रहता है ।

आज भी कोरोना से लड़ने मे यही रास्ता अख्तियार कर रहे है । जो चीज उस समय गांव वाली लगने से मजाक करते थे, उसका वैज्ञानिक आधार कितना मजबूत था, आज हमे महसूस हो रहा है ।

पहले के चौखट कम से कम चार से छह इंच उपर की तरफ निकले रहते थे, जिससे बाहर के जीव जन्तु बाहर से अंदर न आ सके । अब जमीन के उपर न रहने से कुछ भी अंदर आ जाता है ।

अब पाश्चात्य देशो ने भी मान लिया है कि बाॅडी इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए योगा से अच्छा कोई भी विकल्प नही है । इस देश मे योग कितनी सदी पुरानी है, हमने उसे विस्मृत कर दिया था । जब विदेशो ने इसकी महत्ता मानी, तब जाकर हमने उसे माना ।

और तो और हिंदूओ मे कही कोई मर जाये तो उस परिवार मे तेरह दिन का सूतक रहता था । अर्थात वो परिवार उन दिनो आइसोलेशन मे चला जाता था । अगर कोई मिलने भी जाते है, तो अपने पूरे वस्त्र धो लेते है और नहाने से सब साफ हो जाता है । हिन्दू धर्म का मानना है किसी भी कारण से मृत्यु हो तो ऐसा करने से मृत्यु उपरांत फैलने फैलने वाली बिमारियों से अंकुश लग जाता है ।

आज हमे कोरोना के बिमारी से बचने के लिए चौदह दिन के अज्ञातवास मे भेजा जा रहा है । आज पाश्चात्य देशो मे अंतिम संस्कार मे हिंदू धर्म के संस्कार को सर्वोत्तम माना गया है । ऐसा करने से कीटाणु खत्म हो जाते है । बाकी मे इसकी गुंजाइश नही रहती । कुल मिलाकर इस देश को इस तरह की बिमारियों से कैसे निपटा जाए, यह बात बहुत पहले ही हमारे पास थी । बस, आज इसको मान्यता प्राप्त हुई है । हमे इस मुश्किल की घड़ी से बाहर निकलना है । अब समय आ गया है आप और हम मिलकर सरकार के निर्देशो का पालन कर कोरोना के खतरे से बाहर निकले । आशा है कि हमारे देश की जनता इस पर विजय प्राप्त करेगी । आगे और कभी ।

लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ-अभनपूर

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