प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के तहत स्वदेशीकरण पर जोर देने तथा विदेश में तैयार उपकरणों पर निर्भरता घटाकर रणनीतिक आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए भारतीय सेना और सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) के बीच 21 जनवरी, 2021 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के साथ सेना – उद्योगजगत के बीच साझेदारी के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। कल-पुर्जों के स्वदेशीकरण के साथ 1995 में भारतीय सेना और उद्योगजगत के बीच साझेदारी शुरू हुई और प्रमुख रक्षा मंचों तथा विभिन्न हथियारों एवं उपकरणों को लेकर इसमें काफी प्रगति हुई।
अनिर्णीत सीमाओं और संशोधनवादी प्रतिकूलताओं के अलावा, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में भारत की महिमा बढ़ने के कारण सुरक्षा की बढ़ती चुनौतियों के समाधान के लिए सेना के आधुनिकीकरण के द्वारा निरंतर क्षमता निर्माण की जरूरत है। सेना को अपने देश में निर्मित उपकरणों से सुसज्जित करके ऐसा करना संभव है। क्षमता निर्माण को मनोनुकूल बनाने और उद्योगजगत के साथ एकल संपर्क कायम करने के क्रम में, भारतीय सेना ने सैन्य उप-प्रमुख (क्षमता विकास संपोषण) के नेतृत्व में राजस्व और खरीद के पूंजीगत रूटों के बीच तालमेल कायम करके खुद को पुनर्संगठित किया है। उद्योगजगत के साथ प्रत्यक्ष सुविधा प्रदाता के रूप में काम करने के लिए सैन्य डिजाइन ब्यूरो (एडीबी) की स्थापना की गई है और इसके द्वारा रक्षा निर्माताओं को सीधे तौर पर उपभोक्ताओं के साथ जोड़ दिया गया है। इन बदलावों के परिणामस्वरूप प्रौद्योगिकी प्रदान करने वालों, उपकरण निर्माताओं और उपभोक्ताओं के बीच सहयोगात्मक संबंध कायम हुए हैं।
सरकार ने सेना के सक्रिय सहयोग से रक्षा के क्षेत्र में स्वदेशीकरण को समर्थन देने तथा आत्मनिर्भरता तक पहुंचने के उद्देश्य से नीति संबंधी आवश्यक बदलाव किए हैं। उद्योग संघों ने अपनी विशेषज्ञता प्रदर्शित करने को लेकर भारतीय सेना के साथ संपर्क कायम करने के उद्देश्य से उद्योगजगत के लिए एक साझा मंच प्रदान किया है। उद्योगजगत से प्राप्त सुझावों ने नीतिगत संशोधनों एवं परिवर्तनों को काफी प्रभावित किया है। एसआईडीएम के साथ समझौते पर हस्ताक्षर होने से, भारतीय सेना ने स्वदेशी रक्षा उद्योग को समर्थन एवं सहायता देकर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अपना दृढ़ संकल्प दोहराया है।